अब बात करूँगा कश्मीरी पंडितों और अब्दाली को लेकर मिलने वाले तानो से | गुरु के पास कुछ मुट्ठी भर कश्मीरी पंडित गए जरुर थे , उसका कारण था की टेग बहादुर अपना राज्य बचाने के लिए वैसे ही मुगलों से लड़ रहा था , इसलिए वो उनके पास गए की कश्मीरी और पहाड़ी राजाओं के साथ मिल कर लडो | पर इस चीज़ को हिंदुओं को डरपोक दिखाने के लिए और ही रूप दे दिया गया | अब्दाली की बात करने वाले यह नहीं बताएंगे की दुनिया के दस देशों में हिंदू उस समय सबसे बड़ा धर्म था , भारत तिब्बत से लेकर काबुल तक फैला था , बर्मा पाकिस्तान हमारे भूभाग थे , एक अदने से राज्य में लड़कर क्या इतनी बड़ी दुनिया जहाँ नेपाल, इंडोनेसिया, बाली जैसे हिंदू देश भी शामिल थे , क्या इतनी छोटे से भूभाग पर लड़ लेने से ही हिंदू धर्म बच गया ??? शिवाजी , राणाप्रताप , पेशवा क्या घास छिलते हुए जीवन व्यतीत कर गए | खुद गोबिंद सिंह की रक्षा की थी शिवाजी ने उन्हें नांदेड में छिपा कर | यह बात क्यूँ भूल जाते हैं सिख की मुगलों के पाँव मराठों और पेशवा ने उखाड़े थे , सिख एक भी जंग नहीं जीत पाए थे कभी | तो कैसे हिंदुत्व की रक्षा की , कोई समझा दे |
ऐसे ही सिखों के लिए शहीदी देने वाले मति दास , सती दास जिन्हें मुगलों ने जिंदा जला दिया क्यूंकि वो सिख धर्म की रक्षा के लिए तत्पर थे , ब्राह्मण थे | अजय शर्मा एक ब्राह्मण ,जिन्होंने सिख गुरु की रक्षा करते हुए मैदान – ए – जंग में मात्र पन्द्रह साल की उम्र में शहीदी ली | ऐसे ही गुरु के पांच प्यारों में एक नाम ब्राहमण का भी था | रंजीत सिंह की फ़ौज में लाहोर के ब्राह्मणों की एक अलग टुकड़ी थी , रणजीत सिंह के साथ जब झंडा सिंह और गंडा सिंह ने गद्दारी की और अंग्रेजों से हाथ मिला लिया तब इन्ही ब्राहमणों ने उसकी मदद की और उसका राज्य बचा कर दिया | काहे के शेर ?? सच यह है की रंजीत सिंह ने हमेशा अंग्रेजों से अपनी बेटियों की शादी करवा कर अपने राज्य की रक्षा की और एक गुलाम राजा की तरह रहता रहा | राजपूतों को गालियाँ देने वाले सिख याद रखें की महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों ने मौत को गले लगा लिया पर अपनी बहने नहीं सौंपी | आर्य अपनी रक्षा खुद करते आये हैं , जब सिख नहीं थे तब भी हम लड़ते थे , हम चार हज़ार सालों से शत्रुओं से लड़ रहे हैं और डटे हुए हैं | वैसे भी सिख उपर से नहीं टपके , कुछ ऐसे लोग जिनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी थी , अपने माँ बाप के धर्म को त्याग आकर सिर्फ ब्राह्मणों से नफरत के आधार पर इस विचारधारा में कूद पड़े | आज भी अमृतसर केप्टन कालिया जैसे शूरवीर ब्राह्मण पैदा कर रहे है और करता रहेगा | आज बंदा बहादुर , सती दास, मतिदास जैसे ब्राह्मणों के कारण ही सिख धर्म है , सिर्फ गानों में किराए के हथियार दिखा लेने से , फुकरी मारने से शेर नहीं बनते बेटा | याद रखना हिंदुओं की तलवार बड़ी भारी होती है , शिवाजी की तलवार तुम जैसे आठ लोग मिलकर उठाते थे | जय श्रीराम |
ऐसे ही सिखों के लिए शहीदी देने वाले मति दास , सती दास जिन्हें मुगलों ने जिंदा जला दिया क्यूंकि वो सिख धर्म की रक्षा के लिए तत्पर थे , ब्राह्मण थे | अजय शर्मा एक ब्राह्मण ,जिन्होंने सिख गुरु की रक्षा करते हुए मैदान – ए – जंग में मात्र पन्द्रह साल की उम्र में शहीदी ली | ऐसे ही गुरु के पांच प्यारों में एक नाम ब्राहमण का भी था | रंजीत सिंह की फ़ौज में लाहोर के ब्राह्मणों की एक अलग टुकड़ी थी , रणजीत सिंह के साथ जब झंडा सिंह और गंडा सिंह ने गद्दारी की और अंग्रेजों से हाथ मिला लिया तब इन्ही ब्राहमणों ने उसकी मदद की और उसका राज्य बचा कर दिया | काहे के शेर ?? सच यह है की रंजीत सिंह ने हमेशा अंग्रेजों से अपनी बेटियों की शादी करवा कर अपने राज्य की रक्षा की और एक गुलाम राजा की तरह रहता रहा | राजपूतों को गालियाँ देने वाले सिख याद रखें की महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों ने मौत को गले लगा लिया पर अपनी बहने नहीं सौंपी | आर्य अपनी रक्षा खुद करते आये हैं , जब सिख नहीं थे तब भी हम लड़ते थे , हम चार हज़ार सालों से शत्रुओं से लड़ रहे हैं और डटे हुए हैं | वैसे भी सिख उपर से नहीं टपके , कुछ ऐसे लोग जिनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी थी , अपने माँ बाप के धर्म को त्याग आकर सिर्फ ब्राह्मणों से नफरत के आधार पर इस विचारधारा में कूद पड़े | आज भी अमृतसर केप्टन कालिया जैसे शूरवीर ब्राह्मण पैदा कर रहे है और करता रहेगा | आज बंदा बहादुर , सती दास, मतिदास जैसे ब्राह्मणों के कारण ही सिख धर्म है , सिर्फ गानों में किराए के हथियार दिखा लेने से , फुकरी मारने से शेर नहीं बनते बेटा | याद रखना हिंदुओं की तलवार बड़ी भारी होती है , शिवाजी की तलवार तुम जैसे आठ लोग मिलकर उठाते थे | जय श्रीराम |