श्री गणेशाय नमः
नया सवेरा । आपके सामने भारत (ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान ) विभाजन और हिन्दू पतन का एक कड़वा संक्षिप्त इतिहास बता रहा है ।
मनुस्मृति
जब सृष्टि आरम्भ हुई थी तो ब्रह्मा ने विधान बनाया था जिसे उनके मानस पुत्र स्वायंभुव मनु ने लिखा था | ये संसार का पहला ग्रन्थ था । जिसमे कलियुग ने प्रपंच की तहत धर्म की हानि के लिए छेड़ छेड़ करवाया है|
मूल मनुस्मृति वैदिक संस्कृत में लिखी १०,००० वर्ष से अधिक पुराना ग्रन्थ है जिसमे ६३० श्लोक है | विकृत मनुस्मृति २८०० वर्ष पुराना और लगभग २४०० श्लोक है |इस नकली मनुस्मृति में ब्राह्मणों को उच्च, शुद्रो और स्त्री को नीच कहा गया था |विकृत मनुस्मृति मनुवाद (ब्राह्मणवाद) का जन्म का कारन बना जिसे भगवन बुध ने २५०० वर्ष पहले अंत किया | कालांतर में सिख ईसाई जैन इत्यादि धर्म आया ।
भगवान् महर्षि वाल्मीकि को डाकू कहा गया । जिसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गलत कहा है ।
रामायण और महाभारत के मूल प्रति में मिलावट कर मनघड़न्त कहानी मिलाया गया जो पूर्णतः असत्य है ।
रामायण और महाभारत की कुछ और मनघडंत कल्पनाएँ जो कोई अस्तित्व तो नहीं रखती पर हिन्दू धर्म की पवित्र संस्कृति को अपमानित जरूर करवाती हैं, देखें –
रामायण:
१. सीता का निर्वासन (सम्पूर्ण उत्तर रामायण ही बाद की कपोल-कल्पना है, जिसका कोई सम्बन्ध वाल्मीकि रामायण से नहीं है।)
२. राम द्वारा शूद्र शम्बूक का वध (उत्तर रामायण से लिया गया एक झूठा प्रसंग है।)
३. हनुमान,बालि,सुग्रीव आदि को बन्दर या वानर मानना। (वे सभी मनुष्य ही थे, वानर की तरह फुर्तीले, श्री राम भक्त , हनुमान श्रेष्ठ विद्वान्, अति बुद्धिमान और आकर्षक व्यक्तित्व वाले है।)
४. राम, लक्ष्मण, सीता को शराबी और मांस- भोजी मानना। (जिसका कोई सन्दर्भ मूल रामायण में कहीं नहीं मिलता।)
महाभारत:
१. पांचाल नरेश की कन्या होने से – द्रौपदी पांचाली थी, पांच पतियों की पत्नी होने से नहीं। (यदि कोई इस से उलटा कहे तो वह संस्कृत और इतिहास दोनों से ही अनभिज्ञ है।)
२. श्री कृष्ण की सोलह हजार से भी अधिक रानियाँ मानना। (यह भी भारत वर्ष के अंध काल की एक और मनघडंत कल्पना है।)
3. गुरु द्रोणाचार्य पर एकलव्य का अंगूठा काटना मनघडंत कहानी है । जिसे महाभारत में घालमेल किया है । महर्षि वाल्मीकि की तरह गुरु द्रोणाचार्य को बदनाम किया जा रहा है ।
सैकड़ों शताब्दियों से वेदों के बाद सबसे प्रमुख ग्रन्थ होने के कारण इन ग्रंथों में घालमेल किया गया क्योंकि इन में बिगाड कर के हिन्दुओं को अपने धर्म से डिगाया जा सकता है। हिन्दुओं को धर्मच्युत करने के लिए ही मानव संविधान के प्रथम ग्रन्थ मनुस्मृति में भी घालमेल किया गया।
1378 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है इरान।
तैमूर का जन्म सन् 1336 में ट्रांस-आक्सियाना (Transoxiana), ट्रांस आमू और सर नदियों के बीच का प्रदेश, मावराउन्नहर, में केश या शहर-ए-सब्ज नामक स्थान में हुआ था। उसके पिता ने इस्लाम कबूल कर लिया था। अत: तैमूर भी इस्लाम का कट्टर अनुयायी हुआ। वह बहुत ही प्रतिभावान् और महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। महान् मंगोल विजेता चंगेज खाँ की तरह वह भी समस्त संसार को अपनी शक्ति से रौंद डालना चाहता था और सिकंदर की तरह विश्वविजय की कामना रखता था। सन् 1369 में समरकंद के मंगोल शासक के मर जाने पर उसने समरकंद की गद्दी पर कब्जा कर लिया और इसके बाद उसने पूरी शक्ति के साथ दिग्विजय का कार्य प्रारंभ कर दिया। चंगेज खाँ की पद्धति पर ही उसने अपनी सैनिक व्यवस्था कायम की और चंगेज की तरह ही उसने क्रूरता और निष्ठुरता के साथ दूर-दूर के देशों पर आक्रमण कर उन्हें तहस नहस किया। 1380 और 1387 के बीच उसने खुरासान, सीस्तान, अफगानिस्तान, फारस, अजरबैजान और कुर्दीस्तान आदि पर आक्रमण कर उन्हें अधीन किया। 1393 में उसने बगदाद को लेकर मेसोपोटामिया पर आधिपत्य स्थापित किया। इन विजयों से उत्साहित होकर अब उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया। उसके अमीर और सरदार प्रारंभ में भारत जैसे दूरस्थ देश पर आक्रमण के लिये तैयार नहीं थे, लेकिन जब उसने इस्लाम धर्म के प्रचार के हेतु भारत में प्रचलित मूर्तिपूजा का विध्वंस करना अपना पवित्र ध्येय घोषित किया, तो उसके अमीर और सरदार भारत पर आक्रमण के लिये राजी हो गए।
मूर्तिपूजा का विध्वंस तो आक्रमण का बहाना मात्र था। वस्तुत: वह भारत के स्वर्ण से आकृष्ट हुआ। भारत की महान् समृद्धि और वैभव के बारे में उसने बहुत कुछ बातें सुन रखी थीं। अत: भारत की दौलत लूटने के लिये ही उसने आक्रमण की योजना बनाई थी। उसे आक्रमण का बहाना ढूँढ़ने की अवश्यकता भी नहीं महसूस हुई। उस समय दिल्ली की तुगलुक सल्तनत फिरोजशाह के निर्बल उत्तराधिकारियों के कारण शोचनीय अवस्था में थी। भारत की इस राजनीतिक दुर्बलता ने तैमूर को भारत पर आक्रमण करने का स्वयं सुअवसर प्रदान दिया।
1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है अफगानिस्तान
हयाम वुरुक इसका सबसे शक्तिशाली और सफल सम्राट था।
जोगेंद्र नाथ मंडल का जन्म बंगाल के बरीसल जिले के मइसकड़ी में हुआ था | वो एक पिछड़ी जाति से आते थे | इनकी माता का नाम संध्या और पिताजी का नाम रामदयाल मंडल था | जोगेन्द्रनाथ मंडल 6 भाई-बहन थे जिनमे ये सबसे छोटे थे | जोगेंद्र ने सन 1924 में इंटर और सन 1929 में बी. ए. पास कर पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई पहले ढाका और बाद में कलकत्ता विश्व-विद्यालय से पूरी की थी | सन 1937 में उन्हें जिला काउन्सिल के लिए मनोनीत किया गया | इसी वर्ष उन्हें बंगाल लेजिस्लेटिव काउन्सिल का सदस्य चुना गया | सन 1939-40 तक वे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के करीब आये मगर, जल्दी ही उन्हें एहसास हो गया कि कांग्रेस के एजेंडे में उसके अपने समाज के लिए ज्यादा कुछ करने की इच्छा नहीं है | इसके बाद वो मुस्लिम लीग से जुड़ गये | जोगेंद्र नाथ मंडल मुस्लिम लीग के खास सदस्यों में से एक थे|
1946 में चुनाव के ब्रिटिशराज में अंतिम सरकार बनी तो कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने अपने प्रतिनिधियों को चुना जो कि मंत्री के तौर पर सरकार में काम करेंगे | मुस्लिम लीग ने जोगेंद्र नाथ मंडल का नाम भेजा | पाकिस्तान निर्माण के बाद मंडल को कानून और श्रम मंत्री बनाया गया | जिन्ना को जोगेंद्र नाथ मंडल पर भरोसा था | वो मुहम्मद अली जिन्ना के काफी करीबी थे| दरअसल जोगेंद्र ने ही अपनी ताकत से असम के सयलहेट को पाकिस्तान में मिला दिया था | 3 जून 1947 की घोषणा के बाद असम के सयलहेट को जनमत संग्रह से यह तय करना था कि वो पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा या भारत का | उस इलाकें में हिंदू-मुस्लिम की संख्या बराबर थी | जिन्ना ने इलाके में मंडल को भेजा, मंडल ने वहां दलितों का मत पाकिस्तान के पक्ष में झुका दिया जिसके बाद सयलहेट पाकिस्तान का हिस्सा बना | आज वो बांग्लादेश में हैं |
पाकिस्तान निर्माण के कुछ वक्त बाद गैर मुस्लिमो को निशाना बनाया जाने लगा | हिन्दुओ के साथ लूटमार, बलात्कार की घटनाएँ सामने आने लगी | मंडल ने इस विषय पर सरकार को कई खत लिखे लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी | जोगेंद्र नाथ मंडल को बाहर करने के लिये उनकी देशभक्ति पर संदेह किया जाने लगा| मंडल को इस बात का एहसास हुआ जिस पाकिस्तान को उन्होंने अपना घर समझा था वो उनके रहने लायक नहीं है | मंडल बहुत आहात हुए, उन्हें विश्वास था पाकिस्तान में दलितों के साथ अन्याय नहीं होगा | करीबन दो सालों में ही दलित-मुस्लिम एकता का मंडल का ख्बाब टूट गया | जिन्ना की मौत के बाद मंडल 8 अक्टूबर, 1950 को लियाकत अलीखां के मंत्री-मंडल से त्याग पत्र देकर भारत आ गये |
जोगेंद्र नाथ मंडल ने अपने खत में मुस्लिम लीग से जुड़ने और अपने इस्तीफे की वजह को स्पष्ट किया, जिसके कुछ अंश यहाँ है | मंडल ने अपने खत में लिखा, 'बंगाल में मुस्लिम और दलितों की एक जैसी हालात थी | दोनों ही पिछड़े, मछुआरे, अशिक्षित थे | मुझे आश्वस्त किया गया था लीग के साथ मेरे सहयोग से ऐसे कदम उठाये जायेंगे जिससे बंगाल की बड़ी आबादी का भला होगा | हम मिलकर ऐसी आधारशिला रखेंगे जिससे साम्प्रदायिक शांति और सौहादर्य बढ़ेगा | इन्ही कारणों से मैंने मुस्लिम लीग का साथ दिया | 1946 में पाकिस्तान के निर्माण के लिये मुस्लिम लीग ने 'डायरेक्ट एक्शन डे' मनाया | जिसके बाद बंगाल में भीषण दंगे हुए | कलकत्ता के नोआखली नरसंहार में पिछड़ी जाति समेत कई हिन्दुओ की हत्याएं हुई, सैकड़ों ने इस्लाम कबूल लिया | हिंदू महिलाओं का बलात्कार, अपहरण किया गया | इसके बाद मैंने दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया | मैने हिन्दुओ के भयानक दुःख देखे जिनसे अभिभूत हूँ लेकिन फिर भी मैंने मुस्लिम लीग के साथ सहयोग की नीति को जारी रखा |
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बनने के बाद मुझे मंत्रीमंडल में शामिल किया गया | मैंने ख्वाजा नजीममुद्दीन से बात कर ईस्ट बंगाल की कैबिनेट में दो पिछड़ी जाति के लोगो को शामिल करने का अनुरोध किया | उन्होंने मुझसे ऐसा करने का वादा किया | लेकिन इसे टाल दिया गया जिससे मै बहुत हताश हुआ|
मंडल ने अपने खत में पाकिस्तान में दलितों पर हुए अत्याचार की कई घटनाओं जिक्र किया उन्होंने लिखा, 'गोपालगंज के पास दीघरकुल (Digharkul ) में मुस्लिम की झूटी शिकायत पर स्थानीय नमोशूद्राय लोगो के साथ क्रूर अत्याचार किया गया | पुलिस के साथ मिलकर मुसलमानों ने मिलकर नमोशूद्राय समाज के लोगो को पीटा, घरों में छापे मारे | एक गर्भवती महिला की इतनी बेरहमी से पिटाई की गयी कि उसका मौके पर ही गर्भपात हो गया | निर्दोष हिन्दुओ विशेष रूप से पिछड़े समुदाय के लोगो पर सेना और पुलिस ने भी हिंसा को बढ़ावा दिया | सयलहेट जिले के हबीबगढ़ में निर्दोष पुरुषो और महिलाओं को पीटा गया | सेना ने न केबल लोगो को पीटा बल्कि हिंदू पुरुषो को उनकी महिलाओं सैन्य शिविरों में भेजने के मजबूर किया ताकि वो सेना की कामुक इच्छाओं को पूरा कर सके | मैं इस मामले को आपके संज्ञान में लाया था, मुझे इस मामले में रिपोर्ट के लिये आश्वस्त किया गया लेकिन रिपोर्ट नहीं आई |
खुलना (Khulna) जिले कलशैरा (Kalshira) में सशस्त्र पुलिस, सेना और स्थानीय लोगो ने निर्दयता से पुरे गाँव पर हमला किया | कई महिलाओं का पुलिस, सेना और स्थानीय लोगो द्वारा बलात्कार किया गया | मैने 28 फरवरी 1950 को कलशैरा और आसपास के गांवों का दौरा किया | जब मैं कलशैरा में आया तो देखा यहाँ जगह उजाड़ और खंडहर में बदल गयी | यहाँ करीबन 350 घरों को ध्वस्त कर दिया गया | मैंने तथ्यों के साथ आपको सूचना दी |
ढाका में नौ दिनों के प्रवास के दौरान में दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया | ढाका-नारायणगंज और ढाका-चंटगाँव के बीच ट्रेनों और पटरियों पर निर्दोष हिन्दुओ की हत्याओं ने मुझे गहरा झटका दिया | मैंने ईस्ट बंगाल के मुख्यमंत्री से मुलाकर कर दंगा प्रसार को रोकने के लिये जरूरी कदमों को उठाने का आग्रह किया| 20 फरवरी 1950 को मैं बरिसाल (Barisal) पहुंचा | यहाँ की घटनाओं के बारे में जानकार में चकित था | यहाँ बड़ी संख्या में हिन्दुओ को जला दिया गया | उनकी बड़ी संख्या को खत्म कर दिया गया | मैंने जिले में लगभग सभी दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया | मधापाशा (Madhabpasha) में जमींदार के घर में 200 लोगो की मौत हुई और 40 घायल थे | एक जगह है मुलादी (Muladi ), प्रत्यक्षदर्शी ने यहाँ भयानक नरक देखा | यहाँ 300 लोगो का कत्लेआम हुआ | वहां गाँव में शवो के कंकाल भी देखे | नदी किनारे गिद्द और कुत्ते लाशो को खा रहे थे | यहाँ सभी पुरुषो की हत्याओं के बाद लड़कियों को आपस में बाँट लिया गया | राजापुर में 60 लोग मारे गये | बाबूगंज (Babuganj) में हिन्दुओ की सभी दुकानों को लूट आग लगा दी गयी | ईस्ट बंगाल के दंगे में अनुमान के मुताबिक 10000 लोगो की हत्याएं हुई | अपने आसपास महिलाओं और बच्चो को विलाप करते हुए मेरा दिल पिघल गया | मैंने अपने आप से पूछा, 'क्या मै इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान आया था |''
मंडल ने अपने खत में आगे लिखा, 'ईस्ट बंगाल में आज क्या हालात हैं? विभाजन के बाद 5 लाख हिन्दुओ ने देश छोड़ दिया है | मुसलमानों द्वारा हिंदू वकीलों, हिंदू डॉक्टरों, हिंदू व्यापारियों, हिंदू दुकानदारों के बहिष्कार के बाद उन्हें आजीविका के लिये पलायन करने के लिये मजबूर होना पड़ा | मुझे मुसलमानों द्वारा पिछड़ी जाति की लडकियों के साथ बलात्कार की जानकारी मिली है | हिन्दुओ द्वारा बेचे गये सामान की मुसलमान खरीददार पूरी कीमत नहीं दे रहे हैं | तथ्य की बात यह है पाकिस्तान में न कोई न्याय है, न कानून का राज इसीलिए हिंदू चिंतित हैं |
पूर्वी पाकिस्तान के अलावा पश्चिमी पाकिस्तान में भी ऐसे ही हालात हैं | विभाजन के बाद पश्चिमी पंजाब में 1 लाख पिछड़ी जाति के लोग थे उनमे से बड़ी संख्या को बलपूर्वक इस्लाम में परिवर्तित किया गया है | मुझे एक लिस्ट मिली है जिसमे 363 मंदिरों और गुरूद्वारे मुस्लिमों के कब्जे में हैं | इनमे से कुछ को मोची की दुकान, कसाईखाना और होटलों में तब्दील कर दिया है | मुझे जानकारी मिली है सिंध में रहने वाली पिछड़ी जाति की बड़ी संख्या को जबरन मुसलमान बनाया गया है | इन सबका कारण एक है | हिंदू धर्म को मानने के अलावा इनकी कोई गलती नहीं है |
जोगेंद्र नाथ मंडल ने अंत में लिखा, 'पाकिस्तान की पूर्ण तस्वीर तथा उस निर्दयी एवं कठोर अन्याय को एक तरफ रखते हुए, मेरा अपना तजुर्बा भी कुछ कम दुखदायी, पीड़ादायक नहीं है | आपने अपने प्रधानमंत्री और संसदीय पार्टी के पद का उपयोग करते हुए मुझसे एक वक्तव्य जारी करवाया था, जो मैंने 8 सितम्बर को दिया था | आप जानतें हैं मेरी ऐसी मंशा नहीं थी कि मै ऐसे असत्य और असत्य से भी बुरे अर्धसत्य भरा वक्तव्य जारी करूं | जब तक मै मंत्री के रूप में आपके साथ और आपके नेतृत्व में काम कर रहा था मेरे लिये आपके आग्रह को ठुकरा देना मुमकिन नहीं था पर अब मै इससे ज्यादा झूठे दिखाबे तथा असत्य के बोझ को अपनी अंतरात्मा पर नहीं लाद सकता | मै यह निश्चय किया कि मै आपके मंत्री के तौर पर अपना इस्तीफे का प्रस्ताव आपको दूँ, जो कि मै आपके हाथों में थमा रहा हूँ | मुझे उम्मीद है आप बिना किसी देरी के इसे स्वीकार करेंगे | आप बेशक इस्लामिक स्टेट के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस पद को किसी को देने के लिये स्वतंत्र हैं |'
पाकिस्तान में मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद जोगेंद्र नाथ मंडल भारत आ गये | कुछ वर्ष गुमनामी की जिन्दगी जीने के बाद 5 अक्टूबर, 1968 को पश्चिम बंगाल में उन्होंने अंतिम सांस ली |
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अतः आप भारत का विभाजन और हिन्दू का पतन का एक ही कारन हर विभाजन में दिखा है की हिन्दू का एक वर्ग का मुसलमान को सहयोग होना । अतः अब भी अगर हिन्दू एक नही हुए तो और विभाजन के लिए तैयार रहे । JNU , बंगलोर ,हैदराबाद , यादवपुर सिर्फ एक संकेत मात्र है । सावधान । इतिहास बार बार दुहरा रहा है ।
भारत में गद्दार नेता की कमी नहीं है । जो सत्ता के लालच में देश विभाजन में जरा भी संकोच और खून - खराबा करने में संकोच नही करेंगे ।
नया सवेरा । आपके सामने भारत (ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान ) विभाजन और हिन्दू पतन का एक कड़वा संक्षिप्त इतिहास बता रहा है ।
मनुस्मृति
जब सृष्टि आरम्भ हुई थी तो ब्रह्मा ने विधान बनाया था जिसे उनके मानस पुत्र स्वायंभुव मनु ने लिखा था | ये संसार का पहला ग्रन्थ था । जिसमे कलियुग ने प्रपंच की तहत धर्म की हानि के लिए छेड़ छेड़ करवाया है|
मूल मनुस्मृति वैदिक संस्कृत में लिखी १०,००० वर्ष से अधिक पुराना ग्रन्थ है जिसमे ६३० श्लोक है | विकृत मनुस्मृति २८०० वर्ष पुराना और लगभग २४०० श्लोक है |इस नकली मनुस्मृति में ब्राह्मणों को उच्च, शुद्रो और स्त्री को नीच कहा गया था |विकृत मनुस्मृति मनुवाद (ब्राह्मणवाद) का जन्म का कारन बना जिसे भगवन बुध ने २५०० वर्ष पहले अंत किया | कालांतर में सिख ईसाई जैन इत्यादि धर्म आया ।
भगवान् महर्षि वाल्मीकि को डाकू कहा गया । जिसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गलत कहा है ।
रामायण और महाभारत के मूल प्रति में मिलावट कर मनघड़न्त कहानी मिलाया गया जो पूर्णतः असत्य है ।
रामायण और महाभारत की कुछ और मनघडंत कल्पनाएँ जो कोई अस्तित्व तो नहीं रखती पर हिन्दू धर्म की पवित्र संस्कृति को अपमानित जरूर करवाती हैं, देखें –
रामायण:
१. सीता का निर्वासन (सम्पूर्ण उत्तर रामायण ही बाद की कपोल-कल्पना है, जिसका कोई सम्बन्ध वाल्मीकि रामायण से नहीं है।)
२. राम द्वारा शूद्र शम्बूक का वध (उत्तर रामायण से लिया गया एक झूठा प्रसंग है।)
३. हनुमान,बालि,सुग्रीव आदि को बन्दर या वानर मानना। (वे सभी मनुष्य ही थे, वानर की तरह फुर्तीले, श्री राम भक्त , हनुमान श्रेष्ठ विद्वान्, अति बुद्धिमान और आकर्षक व्यक्तित्व वाले है।)
४. राम, लक्ष्मण, सीता को शराबी और मांस- भोजी मानना। (जिसका कोई सन्दर्भ मूल रामायण में कहीं नहीं मिलता।)
महाभारत:
१. पांचाल नरेश की कन्या होने से – द्रौपदी पांचाली थी, पांच पतियों की पत्नी होने से नहीं। (यदि कोई इस से उलटा कहे तो वह संस्कृत और इतिहास दोनों से ही अनभिज्ञ है।)
२. श्री कृष्ण की सोलह हजार से भी अधिक रानियाँ मानना। (यह भी भारत वर्ष के अंध काल की एक और मनघडंत कल्पना है।)
3. गुरु द्रोणाचार्य पर एकलव्य का अंगूठा काटना मनघडंत कहानी है । जिसे महाभारत में घालमेल किया है । महर्षि वाल्मीकि की तरह गुरु द्रोणाचार्य को बदनाम किया जा रहा है ।
सैकड़ों शताब्दियों से वेदों के बाद सबसे प्रमुख ग्रन्थ होने के कारण इन ग्रंथों में घालमेल किया गया क्योंकि इन में बिगाड कर के हिन्दुओं को अपने धर्म से डिगाया जा सकता है। हिन्दुओं को धर्मच्युत करने के लिए ही मानव संविधान के प्रथम ग्रन्थ मनुस्मृति में भी घालमेल किया गया।
इसके बाद धर्म और देश का विघटन आरम्भ हो गया ।
हिन्दू के ग्रंथो में छेड़ छाड़ कर तीन वर्ण को पूजा से वंचित रखा गया था । अब पूजा से वंचित वर्ग में असंतोष था । वो किसी भी हाल में ब्राह्मणों को सबक सिखाना चाहते थे । जिसने उन्हें ब्राह्मण मानने से इनकार किया था । अब ये समस्या गहरी हो गयी थी की एक दूसरे की शादी भी नही होती थी । यानि ब्राह्मण वर्ण और क्षत्रिय वर्ण की आपस में लड़ाई हो रही थी । एक दूसरे का अहम् महत्वपूर्ण था । इस आपसी वैमनस्य के कारन उन ब्राह्मण क्षत्रिय समाज से वंचित वर्ग ने मुसलमानो का साथ दिया । बाद में यही गलती पतन का कारण बना । हमेसा इन असन्तुष्ट वर्ग तत्कालीन राजा, पुरोहित, मंत्री और राज्य के खिलाफ हमेशा संघर्ष कर रहे थे । ये लड़ाई सत्ता हासिल करने के लिए ही थी । इसलिए उस समय के असंतुष्ट वर्ग ने तैमूर लंग के साथ दिया । मुसलमान के साथ मिलकर ने ईरान बनाया । जिसके बाद सारे हिन्दू मारे गए या इस्लाम काबुल किया ।
ज्ञातव्य : ये असंतुष्ट वर्ग पहले शाषक थे । यही ब्राह्मण वर्ण और क्षत्रिय वर्ण के थे । ( कालांतर गौतम बुद्धा २५०० बर्ष के बाद ) सिर्फ राजनितिक मोहरा ही बना इनके हाथ में कभी सत्ता आया ही नही । ये हमेसा धर्म, सत्ता और देश के विरूद्ध खड़े रहे । इनके हाथ हमेसा खाली ही रहा है। ये असंतुष्ट वर्ग अब तक सत्ता और आन की लड़ाई के लिए धर्म और देश को हमेसा दाव पर लगाया है । इसके बारे में कुछ इतिहास संक्षेप में आपके सामने रख रहा हूँ ।
मूर्तिपूजा का विध्वंस तो आक्रमण का बहाना मात्र था। वस्तुत: वह भारत के स्वर्ण से आकृष्ट हुआ। भारत की महान् समृद्धि और वैभव के बारे में उसने बहुत कुछ बातें सुन रखी थीं। अत: भारत की दौलत लूटने के लिये ही उसने आक्रमण की योजना बनाई थी। उसे आक्रमण का बहाना ढूँढ़ने की अवश्यकता भी नहीं महसूस हुई। उस समय दिल्ली की तुगलुक सल्तनत फिरोजशाह के निर्बल उत्तराधिकारियों के कारण शोचनीय अवस्था में थी। भारत की इस राजनीतिक दुर्बलता ने तैमूर को भारत पर आक्रमण करने का स्वयं सुअवसर प्रदान दिया।
1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है अफगानिस्तान
ईसापूर्व २३० में मौर्य शासन के तहत अफ़ग़ानिस्तान का संपूर्ण इलाका आ चुका था पर मौर्यों का शासन अधिक दिनों तक नहीं रहा। इसके बाद पार्थियन और फ़िर सासानी शासकों ने फ़ारस में केन्द्रित अपने साम्राज्यों का हिस्सा इसे बना लिया। सासनी वंशइस्लाम के आगमन से पूर्व का आखिरी ईरानी वंश था। अरबों ने ख़ुरासान पर सन् ७०७ में अधिकार कर लिया। सामानी वंश, जो फ़ारसी मूल के पर सुन्नी थे, ने ९८७ इस्वी में अपना शासन गजनवियों को खो दिया जिसके फलस्वरूप लगभग संपूर्ण अफ़ग़ानिस्तान ग़ज़नवियों के हाथों आ गया। ग़ोर के शासकों ने गज़नी पर ११८३ में अधिकार कर लिया।
मजापहित साम्राज्य इंडोनेशिया में १२९३-१५०० तक चला। इस हिन्दू साम्राज्य में देश बहुत महान बना और इसे स्वर्ण युग माना जाता है।हयाम वुरुक इसका सबसे शक्तिशाली और सफल सम्राट था।
1947 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है पाकिस्तान
भारत से अंग्रेज जब जाने को तैयार हुए तो दावेदार सामने आये नेहरू और जिन्ना दोनों में अहम् की लड़ाई थी । दो कानून मंत्री के दावेदार आये आंबेडकर और जोगेन्दर । जब कांग्रेस ने जोगेन्दर मंडल को मंत्रालय देने से इंकार किया तो दलित मुसलमान एकता का नारा और मूलनिवासी जिंदाबाद का नारा दिया । क्योंकि अंग्रेज ने अमेरिका में मूलनिवासी का नारा देकर आदिवासी को बर्बरता से मरवाया था । जिसे मूलनिवासी दिन ( कोलंबस डे ) के नाम से मानते है । अंग्रेज भारत में भी मूलनिवासी का प्रोपेगेंडा फैला दिया था ।
जोगेंद्र नाथ मंडल ने जिन्ना का साथ दिया और मुसलमान को गले लगाया दलित- मुसलिम भाई भाई का नारा दिया था । मूलनिवासी जिंदाबाद कहा । जिन्ना के इसारे पर जोगेंद्र नाथ मंडल ने मुस्लिम - दलित साथ मिलकर भारत के खिलाफ जंग छेड़ दी । बंगाल, असम में सवर्णो की खून की होली खेली । कलकत्ता की धरती खून से लाल हो गयी । जिन्ना ने कहा हम बर्बाद भारत या अलग भारत चाहिए । जो आंदोलन का अंत बिहार में हुआ । बिहार में बखूबी इस खून की होली का बदला लिया गया । इस मुस्लिम - दलित आंदोलन के कारन भारत का विभाजन पूर्वी पाकिस्तान के नाम से हुआ जिसका आज नाम बांग्लादेश है ।
जोगेंद्र नाथ मंडल ने जिन्ना का साथ दिया और मुसलमान को गले लगाया दलित- मुसलिम भाई भाई का नारा दिया था । मूलनिवासी जिंदाबाद कहा । जिन्ना के इसारे पर जोगेंद्र नाथ मंडल ने मुस्लिम - दलित साथ मिलकर भारत के खिलाफ जंग छेड़ दी । बंगाल, असम में सवर्णो की खून की होली खेली । कलकत्ता की धरती खून से लाल हो गयी । जिन्ना ने कहा हम बर्बाद भारत या अलग भारत चाहिए । जो आंदोलन का अंत बिहार में हुआ । बिहार में बखूबी इस खून की होली का बदला लिया गया । इस मुस्लिम - दलित आंदोलन के कारन भारत का विभाजन पूर्वी पाकिस्तान के नाम से हुआ जिसका आज नाम बांग्लादेश है ।
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जब पाकिस्तान बना तो लाखो हिन्दू पाकिस्तान चले गये इनमे से अधिकतर हमारे दलित भाईओं के परिवार थे जिन्हें विश्वास था मुसलमान उनका साथ देंगे, उन्हें अपनाएंगे | लेकिन उनके साथ क्या हुआ, इसे जानना जरूरी है | दिल दहला देने वाली इस सच्चाई को वहां के कानून मंत्री ने ही लिखा था | दलित मुस्लिम भाईचारे के पैरोकार मंडल को मुसलमानो ने दिया था धोखा ।
जोगेंद्र नाथ मंडल का जन्म बंगाल के बरीसल जिले के मइसकड़ी में हुआ था | वो एक पिछड़ी जाति से आते थे | इनकी माता का नाम संध्या और पिताजी का नाम रामदयाल मंडल था | जोगेन्द्रनाथ मंडल 6 भाई-बहन थे जिनमे ये सबसे छोटे थे | जोगेंद्र ने सन 1924 में इंटर और सन 1929 में बी. ए. पास कर पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई पहले ढाका और बाद में कलकत्ता विश्व-विद्यालय से पूरी की थी | सन 1937 में उन्हें जिला काउन्सिल के लिए मनोनीत किया गया | इसी वर्ष उन्हें बंगाल लेजिस्लेटिव काउन्सिल का सदस्य चुना गया | सन 1939-40 तक वे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के करीब आये मगर, जल्दी ही उन्हें एहसास हो गया कि कांग्रेस के एजेंडे में उसके अपने समाज के लिए ज्यादा कुछ करने की इच्छा नहीं है | इसके बाद वो मुस्लिम लीग से जुड़ गये | जोगेंद्र नाथ मंडल मुस्लिम लीग के खास सदस्यों में से एक थे|
1946 में चुनाव के ब्रिटिशराज में अंतिम सरकार बनी तो कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने अपने प्रतिनिधियों को चुना जो कि मंत्री के तौर पर सरकार में काम करेंगे | मुस्लिम लीग ने जोगेंद्र नाथ मंडल का नाम भेजा | पाकिस्तान निर्माण के बाद मंडल को कानून और श्रम मंत्री बनाया गया | जिन्ना को जोगेंद्र नाथ मंडल पर भरोसा था | वो मुहम्मद अली जिन्ना के काफी करीबी थे| दरअसल जोगेंद्र ने ही अपनी ताकत से असम के सयलहेट को पाकिस्तान में मिला दिया था | 3 जून 1947 की घोषणा के बाद असम के सयलहेट को जनमत संग्रह से यह तय करना था कि वो पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा या भारत का | उस इलाकें में हिंदू-मुस्लिम की संख्या बराबर थी | जिन्ना ने इलाके में मंडल को भेजा, मंडल ने वहां दलितों का मत पाकिस्तान के पक्ष में झुका दिया जिसके बाद सयलहेट पाकिस्तान का हिस्सा बना | आज वो बांग्लादेश में हैं |
पाकिस्तान निर्माण के कुछ वक्त बाद गैर मुस्लिमो को निशाना बनाया जाने लगा | हिन्दुओ के साथ लूटमार, बलात्कार की घटनाएँ सामने आने लगी | मंडल ने इस विषय पर सरकार को कई खत लिखे लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी | जोगेंद्र नाथ मंडल को बाहर करने के लिये उनकी देशभक्ति पर संदेह किया जाने लगा| मंडल को इस बात का एहसास हुआ जिस पाकिस्तान को उन्होंने अपना घर समझा था वो उनके रहने लायक नहीं है | मंडल बहुत आहात हुए, उन्हें विश्वास था पाकिस्तान में दलितों के साथ अन्याय नहीं होगा | करीबन दो सालों में ही दलित-मुस्लिम एकता का मंडल का ख्बाब टूट गया | जिन्ना की मौत के बाद मंडल 8 अक्टूबर, 1950 को लियाकत अलीखां के मंत्री-मंडल से त्याग पत्र देकर भारत आ गये |
जोगेंद्र नाथ मंडल ने अपने खत में मुस्लिम लीग से जुड़ने और अपने इस्तीफे की वजह को स्पष्ट किया, जिसके कुछ अंश यहाँ है | मंडल ने अपने खत में लिखा, 'बंगाल में मुस्लिम और दलितों की एक जैसी हालात थी | दोनों ही पिछड़े, मछुआरे, अशिक्षित थे | मुझे आश्वस्त किया गया था लीग के साथ मेरे सहयोग से ऐसे कदम उठाये जायेंगे जिससे बंगाल की बड़ी आबादी का भला होगा | हम मिलकर ऐसी आधारशिला रखेंगे जिससे साम्प्रदायिक शांति और सौहादर्य बढ़ेगा | इन्ही कारणों से मैंने मुस्लिम लीग का साथ दिया | 1946 में पाकिस्तान के निर्माण के लिये मुस्लिम लीग ने 'डायरेक्ट एक्शन डे' मनाया | जिसके बाद बंगाल में भीषण दंगे हुए | कलकत्ता के नोआखली नरसंहार में पिछड़ी जाति समेत कई हिन्दुओ की हत्याएं हुई, सैकड़ों ने इस्लाम कबूल लिया | हिंदू महिलाओं का बलात्कार, अपहरण किया गया | इसके बाद मैंने दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया | मैने हिन्दुओ के भयानक दुःख देखे जिनसे अभिभूत हूँ लेकिन फिर भी मैंने मुस्लिम लीग के साथ सहयोग की नीति को जारी रखा |
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बनने के बाद मुझे मंत्रीमंडल में शामिल किया गया | मैंने ख्वाजा नजीममुद्दीन से बात कर ईस्ट बंगाल की कैबिनेट में दो पिछड़ी जाति के लोगो को शामिल करने का अनुरोध किया | उन्होंने मुझसे ऐसा करने का वादा किया | लेकिन इसे टाल दिया गया जिससे मै बहुत हताश हुआ|
मंडल ने अपने खत में पाकिस्तान में दलितों पर हुए अत्याचार की कई घटनाओं जिक्र किया उन्होंने लिखा, 'गोपालगंज के पास दीघरकुल (Digharkul ) में मुस्लिम की झूटी शिकायत पर स्थानीय नमोशूद्राय लोगो के साथ क्रूर अत्याचार किया गया | पुलिस के साथ मिलकर मुसलमानों ने मिलकर नमोशूद्राय समाज के लोगो को पीटा, घरों में छापे मारे | एक गर्भवती महिला की इतनी बेरहमी से पिटाई की गयी कि उसका मौके पर ही गर्भपात हो गया | निर्दोष हिन्दुओ विशेष रूप से पिछड़े समुदाय के लोगो पर सेना और पुलिस ने भी हिंसा को बढ़ावा दिया | सयलहेट जिले के हबीबगढ़ में निर्दोष पुरुषो और महिलाओं को पीटा गया | सेना ने न केबल लोगो को पीटा बल्कि हिंदू पुरुषो को उनकी महिलाओं सैन्य शिविरों में भेजने के मजबूर किया ताकि वो सेना की कामुक इच्छाओं को पूरा कर सके | मैं इस मामले को आपके संज्ञान में लाया था, मुझे इस मामले में रिपोर्ट के लिये आश्वस्त किया गया लेकिन रिपोर्ट नहीं आई |
खुलना (Khulna) जिले कलशैरा (Kalshira) में सशस्त्र पुलिस, सेना और स्थानीय लोगो ने निर्दयता से पुरे गाँव पर हमला किया | कई महिलाओं का पुलिस, सेना और स्थानीय लोगो द्वारा बलात्कार किया गया | मैने 28 फरवरी 1950 को कलशैरा और आसपास के गांवों का दौरा किया | जब मैं कलशैरा में आया तो देखा यहाँ जगह उजाड़ और खंडहर में बदल गयी | यहाँ करीबन 350 घरों को ध्वस्त कर दिया गया | मैंने तथ्यों के साथ आपको सूचना दी |
ढाका में नौ दिनों के प्रवास के दौरान में दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया | ढाका-नारायणगंज और ढाका-चंटगाँव के बीच ट्रेनों और पटरियों पर निर्दोष हिन्दुओ की हत्याओं ने मुझे गहरा झटका दिया | मैंने ईस्ट बंगाल के मुख्यमंत्री से मुलाकर कर दंगा प्रसार को रोकने के लिये जरूरी कदमों को उठाने का आग्रह किया| 20 फरवरी 1950 को मैं बरिसाल (Barisal) पहुंचा | यहाँ की घटनाओं के बारे में जानकार में चकित था | यहाँ बड़ी संख्या में हिन्दुओ को जला दिया गया | उनकी बड़ी संख्या को खत्म कर दिया गया | मैंने जिले में लगभग सभी दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया | मधापाशा (Madhabpasha) में जमींदार के घर में 200 लोगो की मौत हुई और 40 घायल थे | एक जगह है मुलादी (Muladi ), प्रत्यक्षदर्शी ने यहाँ भयानक नरक देखा | यहाँ 300 लोगो का कत्लेआम हुआ | वहां गाँव में शवो के कंकाल भी देखे | नदी किनारे गिद्द और कुत्ते लाशो को खा रहे थे | यहाँ सभी पुरुषो की हत्याओं के बाद लड़कियों को आपस में बाँट लिया गया | राजापुर में 60 लोग मारे गये | बाबूगंज (Babuganj) में हिन्दुओ की सभी दुकानों को लूट आग लगा दी गयी | ईस्ट बंगाल के दंगे में अनुमान के मुताबिक 10000 लोगो की हत्याएं हुई | अपने आसपास महिलाओं और बच्चो को विलाप करते हुए मेरा दिल पिघल गया | मैंने अपने आप से पूछा, 'क्या मै इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान आया था |''
मंडल ने अपने खत में आगे लिखा, 'ईस्ट बंगाल में आज क्या हालात हैं? विभाजन के बाद 5 लाख हिन्दुओ ने देश छोड़ दिया है | मुसलमानों द्वारा हिंदू वकीलों, हिंदू डॉक्टरों, हिंदू व्यापारियों, हिंदू दुकानदारों के बहिष्कार के बाद उन्हें आजीविका के लिये पलायन करने के लिये मजबूर होना पड़ा | मुझे मुसलमानों द्वारा पिछड़ी जाति की लडकियों के साथ बलात्कार की जानकारी मिली है | हिन्दुओ द्वारा बेचे गये सामान की मुसलमान खरीददार पूरी कीमत नहीं दे रहे हैं | तथ्य की बात यह है पाकिस्तान में न कोई न्याय है, न कानून का राज इसीलिए हिंदू चिंतित हैं |
पूर्वी पाकिस्तान के अलावा पश्चिमी पाकिस्तान में भी ऐसे ही हालात हैं | विभाजन के बाद पश्चिमी पंजाब में 1 लाख पिछड़ी जाति के लोग थे उनमे से बड़ी संख्या को बलपूर्वक इस्लाम में परिवर्तित किया गया है | मुझे एक लिस्ट मिली है जिसमे 363 मंदिरों और गुरूद्वारे मुस्लिमों के कब्जे में हैं | इनमे से कुछ को मोची की दुकान, कसाईखाना और होटलों में तब्दील कर दिया है | मुझे जानकारी मिली है सिंध में रहने वाली पिछड़ी जाति की बड़ी संख्या को जबरन मुसलमान बनाया गया है | इन सबका कारण एक है | हिंदू धर्म को मानने के अलावा इनकी कोई गलती नहीं है |
जोगेंद्र नाथ मंडल ने अंत में लिखा, 'पाकिस्तान की पूर्ण तस्वीर तथा उस निर्दयी एवं कठोर अन्याय को एक तरफ रखते हुए, मेरा अपना तजुर्बा भी कुछ कम दुखदायी, पीड़ादायक नहीं है | आपने अपने प्रधानमंत्री और संसदीय पार्टी के पद का उपयोग करते हुए मुझसे एक वक्तव्य जारी करवाया था, जो मैंने 8 सितम्बर को दिया था | आप जानतें हैं मेरी ऐसी मंशा नहीं थी कि मै ऐसे असत्य और असत्य से भी बुरे अर्धसत्य भरा वक्तव्य जारी करूं | जब तक मै मंत्री के रूप में आपके साथ और आपके नेतृत्व में काम कर रहा था मेरे लिये आपके आग्रह को ठुकरा देना मुमकिन नहीं था पर अब मै इससे ज्यादा झूठे दिखाबे तथा असत्य के बोझ को अपनी अंतरात्मा पर नहीं लाद सकता | मै यह निश्चय किया कि मै आपके मंत्री के तौर पर अपना इस्तीफे का प्रस्ताव आपको दूँ, जो कि मै आपके हाथों में थमा रहा हूँ | मुझे उम्मीद है आप बिना किसी देरी के इसे स्वीकार करेंगे | आप बेशक इस्लामिक स्टेट के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस पद को किसी को देने के लिये स्वतंत्र हैं |'
पाकिस्तान में मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद जोगेंद्र नाथ मंडल भारत आ गये | कुछ वर्ष गुमनामी की जिन्दगी जीने के बाद 5 अक्टूबर, 1968 को पश्चिम बंगाल में उन्होंने अंतिम सांस ली |
wiki pedia : Jogendra_Nath_Mandal
अतः आप भारत का विभाजन और हिन्दू का पतन का एक ही कारन हर विभाजन में दिखा है की हिन्दू का एक वर्ग का मुसलमान को सहयोग होना । अतः अब भी अगर हिन्दू एक नही हुए तो और विभाजन के लिए तैयार रहे । JNU , बंगलोर ,हैदराबाद , यादवपुर सिर्फ एक संकेत मात्र है । सावधान । इतिहास बार बार दुहरा रहा है ।
भारत में गद्दार नेता की कमी नहीं है । जो सत्ता के लालच में देश विभाजन में जरा भी संकोच और खून - खराबा करने में संकोच नही करेंगे ।