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काल्पनिक दुनिया १

इल्लूमिनाती का एक यह भी काम
किसी पश्चिमी देश का कोई पॉश होटल -- हर वर्ष एक कांफ्रेंस के लिये लगभग 140 सदस्य इकट्ठे होते हैं। सिर्फ वही व्यक्ति सम्मिलित हो सकता है जिसे जायोनिस्टों की अंदरूनी कोर संचालन समिति की तरफ से आमंत्रण मिला हो। बल्कि यूँ कहें कि यहूदी रोथ्सचिल्ड फैसला करता है कि कौन आएगा।
इस क्लब की बनावट और एजेंडा का अनुमान इससे लगाइये की निम्नांकित श्रेणी के लोगों को इस सालाना कांफ्रेंस में कभी नहीं बुलाया जाता --
अश्वेत, रंगीन, पीले (चीनी ग्रुप), लैटिन अमेरिकी, एशियाई, मुस्लिम (गोरे हों तो भी), विकासशील देशों के गोरे ।(स्पष्ट है कि इन समूहों को साजिश के निशाने पर रखा जाता है। )
पत्नियों को नहीं आने दिया जाता -- क्योंकि वे षड्यंत्रों के भेद खोल सकती हैं।
मुलाकातें बंद दरवाजों के अंदर होती हैं, कोई मीडिया कवरेज नहीं . . . . . । पूरा होटल बुक कर लिया जाता है और भाड़े के निजी सुरक्षा कर्मचारी स्थानीय पुलिस को भी नहीं फटकने देते। इस 3 दिवसीय विश्व नीति नियामक सम्मलेन का लिखित ब्यौरा कभी प्रकाशित नहीं किया जाता।
यूरोप , अमेरिका और हाँ इजराइल के सबसे धनी और शक्तिशाली अभिजात वर्ग को आमंत्रित करना रोथ्सचिल्ड नहीं भूलता । पहली मीटिंग 1954 में ऊस्टरबीक, हॉलैंड के होटेल द बिल्डरबर्ग में हुई थी -- तब से “बिल्डरबर्ग ग्रुप” नाम चला आ रहा है ।
इस कांफ्रेंस की तुलना में G-8 शिखर सम्मेलन सिर्फ एक मज़ाक है। असल में तो बिल्डरबर्ग समूह ये फैसला करता है कि G-8 सम्मलेन में किन विषयों पर चर्चा होगी। G-8, IMF और वर्ल्ड बैंक इस साल किस योजना पर काम करेंगे ये बिल्डरबर्ग क्लब निर्णय करता है।
हर साल इस बैठक का स्थान बदलता रहता है। आयोजन स्थल पर एक झील और एक गोल्फ का मैदान होना जरुरी है। जब इसके गौण सदस्य गोल्फ खेलकर और पिछली रात की कॉकटेल से थककर बेखबर सोए रहते हैं, तब जायोनिस्ट अंदरूनी संचालन समूह की खास बैठक होती है। पूरे होटल में छिपे हुए माइक्रोफोन लगे होते हैं - यहाँ तक कि गोल्फ कोर्स में भी अत्यंत संवेदनशील माइक्रोफोन छिपे होते हैं, ताकि सदस्यों के हर वार्तालाप पर नज़र रखी जा सके।
बिल क्लिंटन को बुलाया गया था, अगले साल वह राष्ट्रपति बना। जॉन मेजर और टोनी ब्लेयर को भी प्रधानमंत्री बनने से पहले बुलाया गया था।
ब्रिटेन का हर प्रधानमंत्री 1954 से प्रत्येक बैठक में उपस्थित रहता आया है।
आइये देखें इसकी निमंत्रण सूची में कौन कौन होते हैं --
अमेरिका का राष्ट्रपति (यदि गोरा हो तो),
गोरे शासक और राजकुमार,
अमेरिकी सीनेटर, सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट, राष्ट्रपति के सलाहकार,
अमेरिकी रक्षा सचिव, गवर्नर, अमेरिकी NSA और EU के कमिश्नर, NATO का सुप्रीम कमाण्डर और महासचिव, अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व के आला अधिकारी, प्रमुख यहूदी बैंकों के मालिक, यहूदी स्विस बैंकों के आला अधिकारी, दुनियाँ के सबसे धनी गोरे लोग और यहूदी, प्रमुख तेल कंपनियों के यहूदी मालिक, नोकिया का मालिक, फेसबुक का मालिक, गूगल का मालिक, अमेज़न डॉट कॉम का मालिक, IMF और वर्ल्ड बैंक के आला यहूदी अधिकारी, और कुछ मीडिया - जैसे वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स, इकोनॉमिस्ट, वॉलस्ट्रीट जर्नल आदि के यहूदी मालिक ।
अब आप सोच रहे होंगे, ऐसी कौन सी दुनियाँ को हिलानेवाली बातों पर ये लोग मशविरा करते होंगे -- तो चलिये हम बताते हैं :
यूरोपीय संघ कैसे बनाया जाय …
सर्बिया, इराक़ और लीबिया पर युद्ध कैसे थोपा जाय …
तेल का मूल्य कितना हो …
NATO को विश्व की सेना और पुलिस के तौर पर स्थापित कैसे किया जाय …
प्रदूषण करनेवाले उद्योगों को तीसरी दुनियाँ के देशों में स्थानांतरित कैसे किया जाय …
विकासशील देशों को वैश्विक वित्त द्वारा ऋण के जाल में कैसे फंसाया जाय …
गोरे लोगों की निर्विरोध श्रेष्ठता …
चीन, रूस और भारत को नियंत्रण में कैसे रखा जाय ...
किन देशों पर प्रतिबंध लगाना है …
लीबिया, सीरिया, ईरान और उ. कोरिया को अस्थिर करना …
अल्जीरियाई गैस को गोरे लोगों के लिये सुरक्षित करना …
नाभिकीय हथियारों को गोरों के मित्र देशों तथा यहूदियों तक सीमित रखना …
वैश्वीकरण ...
यह मण्डली जायोनिस्ट यहूदियों के अनुकूल पड़ने वाले New World Order (NWO) पर सलाह-मशविरा करती है --- गद्दाफ़ी और उसके स्वर्ण दीनार की हत्या करना -- यहूदियों का विश्व व्यापार -- यहूदियों की ड्रग की काली कमाई को सफ़ेद करना -- यहूदियों का राजनैतिक वर्चस्व -- इस साल किसका तख़्ता-पलट और राजनीतिक हत्याएँ होंगी -- इस साल यहूदी बैंक किन देशों को कंगाल बनाएंगे और किनको बचाएंगे -- शेयर मूल्यों में उछाल और गिरावट में हेरफेर करना ताकि यहूदियों को फायदा हो -- साइबर आतंकवाद -- मुद्राओं का अवमूल्यन -- सोने के मूल्य को स्थिर करना -- अल्पावधि ब्याज दर निर्धारित करना -- कठपुतली राज्यप्रमुखों को सत्ता में लाना और हटाना -- अगले साल बिल्डरबर्ग कांफ्रेंस में किस किस को बुलाना है --
आश्चर्य हुआ?
तो लीजिए, और आश्चर्य कीजिये ...
यह रोथ्सचिल्ड का निर्णय था कि मनमोहन सिंह भारत का प्रधानमंत्री बने । कई साल पहले ही यह निर्णय लिया जा चुका था।
1991 के बिल्डरबर्ग क्लब मीटिंग में ये निर्णय लिया गया कि अगर मनमोहन ( जो UN-विश्व बैंक का एक भूतपूर्व आज्ञाकारी नौकर था ) को वित्त मंत्री की कुर्सी पर नहीं बिठाया गया तो भारत को IMF/ WB लोन नहीं दिया जाएगा।
और फिर उसे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पदोन्नत करना था ताकि रोथ्सचिल्ड को फिर से भारत के धन में सेंधमारी का मौका मिल सके।
(रोथ्सचिल्ड घराना ही अफ़ीम का व्यापार करनेवाली ईस्ट इंडिया कंपनी का मालिक था, जिसने भारत के सारे धन को लूट कर 200 सालों में हमें समृद्धतम राष्ट्र से दरिद्रतम राष्ट्र बना दिया)
2004 में ये हासिल कर लिया गया, जब सभी भारतीय लोकतान्त्रिक परंपराओं को ताक पर रखते हुए सोनिया अड़ गई कि प्रधानमंत्री तो अनिर्वाचित मनमोहन सिंह को ही बनाया जाएगा ।
इस अंदरूनी यहूदी बिल्डरबर्ग समूह द्वारा सभी देशों को जबरदस्ती राज़ी कराया जा रहा है कि वे "एक विश्व सरकार” की सत्ता मान लें --
यही “ नव विश्व व्यवस्था” (NEW WORLD ORDER) है ।

SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari

For him who knows Hari and the sense of self, no other testimony is needed: the knower is absorbed. हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में...

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चेतावनी : मै किसी धर्म, पार्टी, सम्प्रदाय का विरोध या सहयोग करने नही आया हूँ | मै सिर्फ १५,००० बर्ष की सच्ची इतिहास अध्ययन के बाद रखता हूँ | हिन्दू एक ही पूर्वज के संतान है | भविस्य पुराण के अनुसार राजा भोज ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कार्य का बंटवारा किया था | जिसके अनुसार कोई भी अपने योगयता के अनुसार कार्य कर सकता था | कोई भी कोई कार्य चुन सकता था | पूजा करना , सैनिक बनना,खाना बनाना,व्यापार करना ,पशु पालना, खेती करना इत्यादि | ये कालांतर में जाति का रूप लेता गया | हिन्दू के बहुजन समाज (पिछड़ा, अति पिछड़ा, अन्य पिछड़ा, दलित और महादलित ) को सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहा हूँ | योगयता और मेहनत ही उन्नति का साधन है | एक कटु सत्य : यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं। जो धर्म सृष्टि के आरम्भ के पहले और प्रलय के बाद भी रहे उसे सनातन धर्म कहते है | सनातन धर्म का आदि और अंत नही है | नया सवेरा