श्री गणेशाय नमः
अभी तक हमने जान लिया है की वाल्मीकि समुदाय के लोग ब्राह्मण थे । चंवर (चमार) समुदाय के लोग चंवर वंशिय राजा थे । मुगलो ने इनपर जुल्म कर सफाई और चर्म कार्य में लगवाया । इन सबके सामान हरिजन भी एक समुदाय है जो ब्राह्मण वर्ण था । जो भगवान् श्री हरि की उपासना करते थे ।
वर्तमान की ब्राह्मण, वैस्य और क्षत्रिय जाति सिर्फ राज घराने से सम्बंध रखने वाले लोग है । जिसंकी सत्ता मुग़ल काल में बच गयी थी । जो शक्ति से अपना प्रभुत्व कायम रख सके या जो मुगलो के चहेते थे । मतलब ये पूरा हिन्दू समाज नही है । जो क्षत्रिय, ब्राह्मण या वैस्य मुग़ल के आगे हार गयी उसे बड़ी जिल्लतकी ज़िन्दगी जीना पड़ा । उसे अछूत कार्य में लगाया गया था । जो चाटुकार या प्रभुत्व से अपने को कायम रख सके । वही आज ब्राह्मण क्षत्रिय और वैस्य में गिना गया बाकि जो शुद्र बनाया गया । समाज दोवर्ग में बंट गया एक राजपरिवार या जमीदार समाज और निवासी । सारे जमींदार और राज घराना उच्च (ब्राह्मण , वैस्य , क्षत्रिय ) वर्ग बन गया और निवासी शुद्र या नीच वर्ग । उन्होंने समाज को दो वर्ग में बाँट कर राज किया था । पहले समाज को उच्च वर्ग और निम्न वर्ग में बाँट दिया । उच्च वर्ग (जमींदार ) और निवासी मतलब शुद्र । जमींदार के द्वारा यहाँ शासन चलाते थे । अतः दोनों ही गुलाम थे । जमींदार हमेसा मुग़ल के ही अनुसार काम करते थे ।
अंग्रेज ने जमींदार को रैयत नाम दिया । छोटे और बड़े किसान रैयत होते थे । मतलब उच्च और नीच वर्ग कायम रखा । जिससे समाज में जमींदार या रैयत और मजदूर वर्ग में लड़ाई होती थी । लेकिन जाति मुग़ल वाला ही रखा जिससे समाज में द्वेष कायम रहे । आदिवासी और मजदूर को मूलनिवासी कह कर समाज में द्वेष अमेरिका की तरह कायम रख और बढ़ता रहा । मूलनिवासी अंग्रेज का अवधारणा है । जिसे वो अमेरिका अफ्रीका और भारत में खूब प्रयोग किया । मूलनिवासी अवधारणा आज भी भारत में धर्मान्तरण के लिए ईसाई लोग खूब प्रचार प्रसार करते है ।
जिससे अंग्रेज की रैयतवाड़ी भूमिव्यवस्था शासन चलाते थे । भूधृति (Land Tenure) या रैयतवाड़ी भूमिव्यवस्था
प्रमुख क्षत्रिय वर्ण
राजपूत, यादव, जाट, मौर्य, बुंदेल, चंवरवंश (चमार), लापासरी, मल्ल (कुलनाम), गिरनार, हजारिका, कायस्थ, कलिता, गुर्जर, गुर्जरत्रा, सैंथवार वंश, सीरवी, खाप, कटवाल, जाट, अहीर, आभीर, सुनार वर्मा, दतिया, नायर, कलवार, काछी, कुशवाह, बुंदेल, पटेल, पाटीदार समाज ।
हिन्दू धर्म में जाति और वर्ण
अभी जो भी ब्राह्मण है । जो राजा के यहाँ मंत्री होते थे । वो विद्वान ब्राह्मण और शक्तिशाली क्षत्रिय होते थे । वो श्रेष्ठ योद्धा होते थे । ये मनुस्य के स्वभाव गुण के अनुसार ही वर्ण का निर्धारण किया जाता था । इसलिए जो युद्ध में भाग लेते थे सैनिक, रक्षक, पहरेदार, राज पहरेदार ,अंग रक्षक इत्यादि क्षत्रिय को आज अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में मिला दिया गया है ।
अनुसूचित जाति और मुगलकाल तक उनके वर्ण की सूचि इस प्रकार है
आगे जरूर जाने हिन्दू धर्म में जाति और वर्ण और धर्मान्तरण के बाद भी जाति से मुक्ति नही
अभी तक हमने जान लिया है की वाल्मीकि समुदाय के लोग ब्राह्मण थे । चंवर (चमार) समुदाय के लोग चंवर वंशिय राजा थे । मुगलो ने इनपर जुल्म कर सफाई और चर्म कार्य में लगवाया । इन सबके सामान हरिजन भी एक समुदाय है जो ब्राह्मण वर्ण था । जो भगवान् श्री हरि की उपासना करते थे ।
वर्तमान की ब्राह्मण, वैस्य और क्षत्रिय जाति सिर्फ राज घराने से सम्बंध रखने वाले लोग है । जिसंकी सत्ता मुग़ल काल में बच गयी थी । जो शक्ति से अपना प्रभुत्व कायम रख सके या जो मुगलो के चहेते थे । मतलब ये पूरा हिन्दू समाज नही है । जो क्षत्रिय, ब्राह्मण या वैस्य मुग़ल के आगे हार गयी उसे बड़ी जिल्लतकी ज़िन्दगी जीना पड़ा । उसे अछूत कार्य में लगाया गया था । जो चाटुकार या प्रभुत्व से अपने को कायम रख सके । वही आज ब्राह्मण क्षत्रिय और वैस्य में गिना गया बाकि जो शुद्र बनाया गया । समाज दोवर्ग में बंट गया एक राजपरिवार या जमीदार समाज और निवासी । सारे जमींदार और राज घराना उच्च (ब्राह्मण , वैस्य , क्षत्रिय ) वर्ग बन गया और निवासी शुद्र या नीच वर्ग । उन्होंने समाज को दो वर्ग में बाँट कर राज किया था । पहले समाज को उच्च वर्ग और निम्न वर्ग में बाँट दिया । उच्च वर्ग (जमींदार ) और निवासी मतलब शुद्र । जमींदार के द्वारा यहाँ शासन चलाते थे । अतः दोनों ही गुलाम थे । जमींदार हमेसा मुग़ल के ही अनुसार काम करते थे ।
अंग्रेज ने जमींदार को रैयत नाम दिया । छोटे और बड़े किसान रैयत होते थे । मतलब उच्च और नीच वर्ग कायम रखा । जिससे समाज में जमींदार या रैयत और मजदूर वर्ग में लड़ाई होती थी । लेकिन जाति मुग़ल वाला ही रखा जिससे समाज में द्वेष कायम रहे । आदिवासी और मजदूर को मूलनिवासी कह कर समाज में द्वेष अमेरिका की तरह कायम रख और बढ़ता रहा । मूलनिवासी अंग्रेज का अवधारणा है । जिसे वो अमेरिका अफ्रीका और भारत में खूब प्रयोग किया । मूलनिवासी अवधारणा आज भी भारत में धर्मान्तरण के लिए ईसाई लोग खूब प्रचार प्रसार करते है ।
जिससे अंग्रेज की रैयतवाड़ी भूमिव्यवस्था शासन चलाते थे । भूधृति (Land Tenure) या रैयतवाड़ी भूमिव्यवस्था
प्रमुख क्षत्रिय वर्ण
राजपूत, यादव, जाट, मौर्य, बुंदेल, चंवरवंश (चमार), लापासरी, मल्ल (कुलनाम), गिरनार, हजारिका, कायस्थ, कलिता, गुर्जर, गुर्जरत्रा, सैंथवार वंश, सीरवी, खाप, कटवाल, जाट, अहीर, आभीर, सुनार वर्मा, दतिया, नायर, कलवार, काछी, कुशवाह, बुंदेल, पटेल, पाटीदार समाज ।
हिन्दू धर्म में जाति और वर्ण
अभी जो भी ब्राह्मण है । जो राजा के यहाँ मंत्री होते थे । वो विद्वान ब्राह्मण और शक्तिशाली क्षत्रिय होते थे । वो श्रेष्ठ योद्धा होते थे । ये मनुस्य के स्वभाव गुण के अनुसार ही वर्ण का निर्धारण किया जाता था । इसलिए जो युद्ध में भाग लेते थे सैनिक, रक्षक, पहरेदार, राज पहरेदार ,अंग रक्षक इत्यादि क्षत्रिय को आज अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में मिला दिया गया है ।
अनुसूचित जाति और मुगलकाल तक उनके वर्ण की सूचि इस प्रकार है
1
|
अद धर्मी
( ब्राह्मण वर्ण ) |
29
|
बघी नगालू ( वैश्य वर्ण )
|
2
|
बाल्मिकी, भंगी, चुहडा
( ब्राह्मण वर्ण ) |
30
|
बन्धेला ( वैश्य वर्ण )
|
3
|
बंगाली ( ब्राह्मण वर्ण )
|
31
|
बंजारा ( ब्राह्मण वर्ण )
|
4
|
बंसी ( ब्राह्मण वर्ण )
|
32
|
बरड ( क्षत्रिय वर्ण )
|
5
|
बरड, बुराड, बेराड
( क्षत्रिय वर्ण ) |
33
|
बटवाल ( क्षत्रिय वर्ण )
|
6
|
बोरिया, बावरीया
( क्षत्रिय वर्ण ) |
34
|
बाजीगर ( क्षत्रिय वर्ण )
|
7
|
भजड़ा, ( क्षत्रिय वर्ण )
|
35
|
चमार, जतियां, चमार, रहगड़, रामदासी, रविदासी, रामदासिया, मौची
( क्षत्रिय वर्ण ) |
8
|
चनाल ( क्षत्रिय वर्ण )
|
36
|
छिम्बे, धोबी ( वैश्य वर्ण )
|
9
|
डागी, ( ब्राह्मण वर्ण )
|
37
|
दराई, ( क्षत्रिय वर्ण )
|
10
|
दरयाई ( ब्राह्मण वर्ण )
|
38
|
दावले ( क्षत्रिय वर्ण )
|
11
|
धाकी तुरी ( ब्राह्मण वर्ण )
|
39
|
धनक ( क्षत्रिय वर्ण )
|
12
|
धोगरी ( ब्राह्मण वर्ण )
|
40
|
धागरी.सिगी ( वैश्य वर्ण )
|
13
|
डूम,डूमणा ( क्षत्रिय वर्ण )
|
41
|
गगरा ( क्षत्रिय वर्ण )
|
14
|
गधीला,गादीमा, गोदिला
( वैश्य वर्ण ) |
42
|
हाली ( वैश्य वर्ण )
|
15
|
हैसी ( वैश्य वर्ण )
|
43
|
जोगी ( ब्राह्मण वर्ण )
|
16
|
जुलाह, कबीर पंथी,कोर
( ब्राह्मण वर्ण ) |
44
|
कमोह,डगोली ( ब्राह्मण वर्ण )
|
17
|
कराक ( वैश्य वर्ण )
|
45
|
खटीक ( वैश्य वर्ण )
|
18
|
कोली ( वैश्य वर्ण )
|
46
|
लोहार ( क्षत्रिय वर्ण )
|
19
|
मरीजे,मरीचा( वैश्य वर्ण )
|
47
|
मजहवी ( ब्राह्मण वर्ण )
|
20
|
मैघ ( क्षत्रिय वर्ण )
|
48
|
नट ( ब्राह्मण वर्ण )
|
21
|
औड, ( वैश्य वर्ण )
|
49
|
पासी ( वैश्य वर्ण )
|
22
|
परना ( क्षत्रिय वर्ण )
|
50
|
फरेड़ा ( वैश्य वर्ण )
|
23
|
रेहड़ ( वैश्य वर्ण )
|
51
|
सुनाई ( ब्राह्मण वर्ण )
|
24
|
सन्हाल ( वैश्य वर्ण )
|
52
|
संसी भेडकुट मनेश ( क्षत्रिय वर्ण )
|
25
|
सनसुई ( वैश्य वर्ण )
|
53
|
सपेला ( क्षत्रिय वर्ण )
|
26
|
सरडे, सरयाड़े ( वैश्य वर्ण )
|
54
|
सिकलीगर ( वैश्य वर्ण )
|
27
|
सीपी ( वैश्य वर्ण )
|
55
|
सिरकिन्द ( वैश्य वर्ण )
|
28
|
तेली ( वैश्य वर्ण )
|
56
|
ठठीयार, ठठेरे ( क्षत्रिय वर्ण )
|
अनुसूचित जनजाति में अधिकांशतः क्षत्रिय वर्ण के है ।
मैंने इसलिए अभी संक्षेप में वर्णन कर रहा हूँ । पूरी सूचि के लिए अनुसूचित जनजाति की सूची http://tribal.nic.in/WriteReadData/CMS/Documents/201305020220099257474201212010250456513671File939.pdf