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'गांधी थे अंग्रेजों के एजेंट, देश का नुकसान हुआ' काटजू

प्रेस काउंसिल के पूर्व के चेयरमैन मार्कंडेय काटजू एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। इस बार उन्होंने महात्मा गांधी को लेकर एक ब्लॉग लिखा है। जिसमें उन्होंने गांधी को अंग्रेजों का एजेंट करार दिया है।'गांधी- ए ब्रिटिश एजेंट' में काटजू ने लिखा है कि गांधी अंग्रेजों की नीति पर काम करते थे। जिसके चलते भारत को काफी नुकसान पहुंचा है।
काटजू ने अपनी बात को साबित करने के लिए ब्लॉग में कई वजहें भी गिनाई हैं। उन्होंने लिखा है कि गांधी अंग्रेजों के ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति पर काम करते थे।
र्कंडेय काटजू ने अपने तर्क में कहा है कि महात्मा गांधी के वक्तव्यों और समाचार पत्रों में लिखे उनके लेख से ऐसा लगता है जैसे उनका झुकाव हिंदुओं के प्रति ज्यादा था।
गांधी के विचार पर गौर करें तो वे राम राज्य, गो रक्षा, ब्रह्मचर्य, वर्णाश्रण धर्म जैसे मुद्दे उठाते थे। गांधी की सभाओं में अक्सर हिंदू भजन रघुपति राघव राजा राम के बोल सुनाई देते थे। इससे मुस्लिमों की भावनाएं जरूर आहत होती थी।
काटजू ने गांधी के सत्याग्रह आंदोलन पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लिखा है कि गांधी ने जानबूझ कर ये आंदोलन छेड़ा जिससे क्रांतिकारी आंदोलन को पीछे छोड़ा जा सके। ऐसा करने के पीछे भी अंग्रेजों का फायदा छिपा हुआ था।

'गांधी थे अंग्रेजों के एजेंट, देश का नुकसान हुआ'


British Secret Service Agent Mahatma Gandhi!!

SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari

For him who knows Hari and the sense of self, no other testimony is needed: the knower is absorbed. हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में...

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चेतावनी : मै किसी धर्म, पार्टी, सम्प्रदाय का विरोध या सहयोग करने नही आया हूँ | मै सिर्फ १५,००० बर्ष की सच्ची इतिहास अध्ययन के बाद रखता हूँ | हिन्दू एक ही पूर्वज के संतान है | भविस्य पुराण के अनुसार राजा भोज ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कार्य का बंटवारा किया था | जिसके अनुसार कोई भी अपने योगयता के अनुसार कार्य कर सकता था | कोई भी कोई कार्य चुन सकता था | पूजा करना , सैनिक बनना,खाना बनाना,व्यापार करना ,पशु पालना, खेती करना इत्यादि | ये कालांतर में जाति का रूप लेता गया | हिन्दू के बहुजन समाज (पिछड़ा, अति पिछड़ा, अन्य पिछड़ा, दलित और महादलित ) को सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहा हूँ | योगयता और मेहनत ही उन्नति का साधन है | एक कटु सत्य : यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं। जो धर्म सृष्टि के आरम्भ के पहले और प्रलय के बाद भी रहे उसे सनातन धर्म कहते है | सनातन धर्म का आदि और अंत नही है | नया सवेरा