Pages

आभार

हम बिकेश कुमार आपण गुरुदेव प्रोफेसर डॉक्टर केष्कर ठाकुर गुरु माँ डॉक्टर अरुणा चौधरी के पैर लागेक अइछ हम स्वर्गीय गुरुदेव नरेश मोहन झा आत्मा केर शांति प्राथना और श्रद्धा सुमन अर्पित कअछि.| हम सभ गुरुजन  डॉक्टर प्रमोद कुमार पांडेय, डॉक्टर  शिव प्रसाद यादव ,डॉक्टर राम सेवक सिंह ,डॉक्टर नवनाथ सिंह  एलेक गुरुजन पाय लागि आशीर्वाद माँगत अइछ | हम गणेश जी  सरस्वती माँ  आ जगत जननी माँ सीता (ब्रह्मा विष्णु शिव ) के माता क नमस्कार अइछ | माँ सीता क जन्म माता मंदोदरी आ पिता रावण आ धर्म पिता जनक क नमस्कार अइछ |  भगवान् शिव क नमस्कार अइछ  | भगवान् शिव सती के परित्याग जगत जननी सीता क रूप धरे खातिर कयछ | 
ज शिव (हर) के वश कियैक विष्णु (हरि) आ जे हरि वश कियैक (हरे) मॉ जगत जननी सीता भ गेल आ श्री राम स्वयं नारायण भेल | हम सभका नमस्कार करे छी
कवि विद्यापति क मैथिली साहित्य म प्रथम स्थान  अइछ | हम गोविन्द दास, चन्दा झा, मनबोध, पंडित सीताराम झा, जीवनाथ झा (जीवन झा) क नमस्कार करे छी | 

SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari

For him who knows Hari and the sense of self, no other testimony is needed: the knower is absorbed. हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में...

About Me

My photo
चेतावनी : मै किसी धर्म, पार्टी, सम्प्रदाय का विरोध या सहयोग करने नही आया हूँ | मै सिर्फ १५,००० बर्ष की सच्ची इतिहास अध्ययन के बाद रखता हूँ | हिन्दू एक ही पूर्वज के संतान है | भविस्य पुराण के अनुसार राजा भोज ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कार्य का बंटवारा किया था | जिसके अनुसार कोई भी अपने योगयता के अनुसार कार्य कर सकता था | कोई भी कोई कार्य चुन सकता था | पूजा करना , सैनिक बनना,खाना बनाना,व्यापार करना ,पशु पालना, खेती करना इत्यादि | ये कालांतर में जाति का रूप लेता गया | हिन्दू के बहुजन समाज (पिछड़ा, अति पिछड़ा, अन्य पिछड़ा, दलित और महादलित ) को सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहा हूँ | योगयता और मेहनत ही उन्नति का साधन है | एक कटु सत्य : यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं। जो धर्म सृष्टि के आरम्भ के पहले और प्रलय के बाद भी रहे उसे सनातन धर्म कहते है | सनातन धर्म का आदि और अंत नही है | नया सवेरा