मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब
वेदों में शूद्र नाम की कोई जाति या समुदाय नही है जिससे भेदभाव बरता जाए |
नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनुस्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं।
मनुवाद का जन्म आज से २८०० साल पहले हुआ और जिसका अंत भगवान् गौतम बुद्ध ने लगभग २५०० साल पहले किया | मनुस्मृति और ब्राह्मणवाद का कालखंड लगभग ३०० साल का था | इसके बाद अनेक धर्म का अभ्युदय हुआ | बौद्ध ,जैन कबीर ,सिख| मनुवाद का जन्म मानव मात्र को धर्म से विमुख करने के लिए हुआ था | जिससे कलियुग अपना विस्तार कर सके | भारत में मनुवाद के कारन हिन्दू चार भाग में विभाजित हुआ | जिसमे पूजा करने का हक़ कुछ तथाकथित ब्राह्मण को दिया गया | जिसमे क्षत्रिय वैस्य शुद्र से पूजा करने का अधिकार छिन लिया | जिससे धर्म की बहुत हानि हुई |
वेद पुराण में जड़ चेतन को भगवान का अंश बताया गया है | भगवान सभी सजीव - निर्जीव में विद्यमान है | अतः भगवान का पूजा का हक़ हाथी को हो सकता है तो मनुस्य को क्यों नही |मनुवाद के नाम मुगलो ने २० करोड़ से अधिक हिन्दुओ का धर्मान्तरण करवाया | उसके बाद अंग्रेजो ने क्षत्रियो को दलित और गुलाम बनाया |
कांग्रेस ने एक दलित, महादलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा के नाम से राजनीती चमकाई | मार्क्सवादी और उनके बुद्धिजीवियों ने माओवाद और नक्सलवाद पैदा करवाया |
पूर्वोत्तर (बंगाल, असम ...) और दक्षिणी भारत के राज्यों में विद्रोह और अलगाव पैदा कर लगभग हिन्दू मुक्त करवाया | मनुवाद का नाम ले ले कर माओवाद और नक्सलवाद को मार्क्सवादी पार्टी ने १५ से २० राज्यों में अलगाववाद पैदा किया है | जबकि यही बुद्धिजीवी ने पशिम बंगाल पर ३५ साल से अधिक शासन किया लेकिन किसी मज़दूर या दलित का भला नही किया सिर्फ राजनीती चमकाई |दलितों को धर्मान्तरण करवाया या उग्रवादी का ठप्पा लगाके मौत दिया | यह धर्मान्तरण और उग्रवाद का घिनोना खेल अभी भी जारी है |
समाज में झूठी इतिहास पढ़ा नफरत के बीज बोया जा रहा है | मूलनिवासी के नाम पर बहुजन का भटका कर राजनीती चमकाया जा रहा है | जो हिन्दू १०,००० साल से ज्यादा समय से भारत में रहता है विदेशी कह कर समाज में द्वेष और घृणा का जहर घोल जा रहा है|
अतः सभी मनुस्य का परम कर्तव्य है की भगवान का नाम स्मरण करे | कलियुग केवल नाम अधारा | भगवान श्री हरि का नाम स्मरण मात्र से हम अर्थ धर्म काम मोक्ष के अधिकारी हो जाते है | इसमें न तो ज्ञान की आवस्यकता है न प्रपंच कि | न मंदिर कि न पूजन सामग्री कि |
हरि ॐ तत्सत | जय श्री राम | ॐ नमः शिवाय |
वेदों में शूद्र नाम की कोई जाति या समुदाय नही है जिससे भेदभाव बरता जाए |
नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनुस्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं।
मनुवाद का जन्म आज से २८०० साल पहले हुआ और जिसका अंत भगवान् गौतम बुद्ध ने लगभग २५०० साल पहले किया | मनुस्मृति और ब्राह्मणवाद का कालखंड लगभग ३०० साल का था | इसके बाद अनेक धर्म का अभ्युदय हुआ | बौद्ध ,जैन कबीर ,सिख| मनुवाद का जन्म मानव मात्र को धर्म से विमुख करने के लिए हुआ था | जिससे कलियुग अपना विस्तार कर सके | भारत में मनुवाद के कारन हिन्दू चार भाग में विभाजित हुआ | जिसमे पूजा करने का हक़ कुछ तथाकथित ब्राह्मण को दिया गया | जिसमे क्षत्रिय वैस्य शुद्र से पूजा करने का अधिकार छिन लिया | जिससे धर्म की बहुत हानि हुई |
कांग्रेस ने एक दलित, महादलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा के नाम से राजनीती चमकाई | मार्क्सवादी और उनके बुद्धिजीवियों ने माओवाद और नक्सलवाद पैदा करवाया |
पूर्वोत्तर (बंगाल, असम ...) और दक्षिणी भारत के राज्यों में विद्रोह और अलगाव पैदा कर लगभग हिन्दू मुक्त करवाया | मनुवाद का नाम ले ले कर माओवाद और नक्सलवाद को मार्क्सवादी पार्टी ने १५ से २० राज्यों में अलगाववाद पैदा किया है | जबकि यही बुद्धिजीवी ने पशिम बंगाल पर ३५ साल से अधिक शासन किया लेकिन किसी मज़दूर या दलित का भला नही किया सिर्फ राजनीती चमकाई |दलितों को धर्मान्तरण करवाया या उग्रवादी का ठप्पा लगाके मौत दिया | यह धर्मान्तरण और उग्रवाद का घिनोना खेल अभी भी जारी है |
समाज में झूठी इतिहास पढ़ा नफरत के बीज बोया जा रहा है | मूलनिवासी के नाम पर बहुजन का भटका कर राजनीती चमकाया जा रहा है | जो हिन्दू १०,००० साल से ज्यादा समय से भारत में रहता है विदेशी कह कर समाज में द्वेष और घृणा का जहर घोल जा रहा है|
अतः सभी मनुस्य का परम कर्तव्य है की भगवान का नाम स्मरण करे | कलियुग केवल नाम अधारा | भगवान श्री हरि का नाम स्मरण मात्र से हम अर्थ धर्म काम मोक्ष के अधिकारी हो जाते है | इसमें न तो ज्ञान की आवस्यकता है न प्रपंच कि | न मंदिर कि न पूजन सामग्री कि |
हरि ॐ तत्सत | जय श्री राम | ॐ नमः शिवाय |