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हिन्दू हिंदुस्तान का मूलनिवासी है |

मनुवाद के नाम मुगलो ने २० करोड़ से अधिक हिन्दुओ का धर्मान्तरण करवाया | उसके बाद अंग्रेजो ने क्षत्रियो को दलित और गुलाम बनाया |
कांग्रेस ने एक दलित, महादलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा के नाम से राजनीती चमकाई | मार्क्सवादी और उनके बुद्धिजीवियों ने माओवाद और नक्सलवाद पैदा करवाया |
पूर्वोत्तर (बंगाल, असम) और दक्षिणी भारत के राज्यों में विद्रोह और अलगाव पैदा कर लगभग हिन्दू मुक्त करवाया | मनुवाद का नाम ले ले कर माओवाद और नक्सलवाद को मार्क्सवादी पार्टी ने १५ से २० राज्यों में अलगाववाद पैदा किया है |
जबकि यही बुद्धिजीवी ने पशिम बंगाल पर ३५ साल से अधिक शासन किया लेकिन किसी मज़दूर या दलित का भला नही किया सिर्फ राजनीती चमकाई |दलितों को धर्मान्तरण करवाया या उग्रवादी का ठप्पा लगाके मौत दिया | यह धर्मान्तरण और उग्रवाद का घिनोना खेल अभी भी जारी है |

समाज में झूठी इतिहास पढ़ा नफरत के बीज बोया जा रहा है | मूलनिवासी के नाम पर बहुजन का भटका कर राजनीती चमकाया जा रहा है | जो हिन्दू १०,००० साल से ज्यादा समय से भारत में रहता है विदेशी कह कर समाज में द्वेष और घृणा का जहर घोल जा रहा है|

ईसाई मिशिनरी ने हिन्दू समाज में एक झूठ फैलाई है की हिन्दू विदेशी, आदिवासी और दलित मूलनिवासी है | सचाई यह है कि सारे वर्णो का खून एक ही है | ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैस्य और शुद्र का खून एक ही है | आज ईसाई मिशनरी शोध के नाम पर समाज को बाँट रहा है | पुराने समय जो शहर ,ग्राम में रहते थे | उनका बौद्धिक विकास ज्यादा हुआ |
जो लोग जंगल में रहते थे | उसका विकास और नजरिया प्रकृति के हिसाब से हुआ | जंगल में रहना दुष्कर और संकट पूर्ण होता है | बहुत सारे तपस्वी जंगल में ही तपस्या करते थे | उस समय समाज में लोभ और बैमानी नही थी | काम का बंटवारा योग्यता के आधार पर हुआ था | राजा जीवन के अंत समय में राजकाज छोड़कर वानप्रस्थ जीवन व्यतीत करते थे |
हमें वेद, पुराण और हिन्दू के धार्मिक ग्रन्थ में कोई भेदभाव नजर नही आता है | गौतम बुद्ध, महावीर, संत रविदास, वाल्मीकि, कबीर मेहीं दस इत्यादि के विचार में कोई अंतर नही है | सबने मनुवाद और ब्राह्मणवाद पर गहरा विरोध,आघात और सनातन धर्म को ही जनमानस में पुनर्स्थापित किया | अतः हिन्दू, बौद्ध ,जैन ,सिख एक सनातन धर्म है |  

SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari

For him who knows Hari and the sense of self, no other testimony is needed: the knower is absorbed. हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में...

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चेतावनी : मै किसी धर्म, पार्टी, सम्प्रदाय का विरोध या सहयोग करने नही आया हूँ | मै सिर्फ १५,००० बर्ष की सच्ची इतिहास अध्ययन के बाद रखता हूँ | हिन्दू एक ही पूर्वज के संतान है | भविस्य पुराण के अनुसार राजा भोज ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कार्य का बंटवारा किया था | जिसके अनुसार कोई भी अपने योगयता के अनुसार कार्य कर सकता था | कोई भी कोई कार्य चुन सकता था | पूजा करना , सैनिक बनना,खाना बनाना,व्यापार करना ,पशु पालना, खेती करना इत्यादि | ये कालांतर में जाति का रूप लेता गया | हिन्दू के बहुजन समाज (पिछड़ा, अति पिछड़ा, अन्य पिछड़ा, दलित और महादलित ) को सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहा हूँ | योगयता और मेहनत ही उन्नति का साधन है | एक कटु सत्य : यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं। जो धर्म सृष्टि के आरम्भ के पहले और प्रलय के बाद भी रहे उसे सनातन धर्म कहते है | सनातन धर्म का आदि और अंत नही है | नया सवेरा