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- ॐ का महत्व
- नया सवेरा की चुनौती
- दलित को आईना
- महर्षि वाल्मीकि
- वाल्मीकि जाति
- वेदों में स्त्री
- हवन की महिमा
- रामायण और महाभारत में मिलावट की जाँच
- वेदों में गौ वध तथा हिंसा का विरोध
- मार्क्सवादी राजनीती और युवा
- संत रविदास
- मनुवाद, उग्रवाद , अलगाववाद और बहुजन
- सनातन धर्म जाति प्रथा के विरोधी
- अनुसूचित जाति और मुगलकाल तक उनके वर्ण
- हिंदुत्व पर अश्लीलता का आरोप
- विवाह के समय श्री राम चन्द्र जी की आयु 15 वर्ष और ...
- जन्म आधारित जातिगत भेदभाव
- मूलनिवासी
- जरा सम्भले लव जिहाद एक धोखा
- शम्बूक नामक एक शुद्र का हत्या असत्य कथन मात्र हैं।
- भारत विभाजन की सच्चाई
- जागो !
- ब्राह्मणों द्वारा अत्याचार वामपंथी षड्यंत्र का हिस...
- नियोग विषय को लेकर भ्रम
SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari
For him who knows Hari and the sense of self, no other testimony is needed: the knower is absorbed. हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में...
About Me

- Naya Savera Hua (नया सवेरा नया विचार)
- चेतावनी : मै किसी धर्म, पार्टी, सम्प्रदाय का विरोध या सहयोग करने नही आया हूँ | मै सिर्फ १५,००० बर्ष की सच्ची इतिहास अध्ययन के बाद रखता हूँ | हिन्दू एक ही पूर्वज के संतान है | भविस्य पुराण के अनुसार राजा भोज ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कार्य का बंटवारा किया था | जिसके अनुसार कोई भी अपने योगयता के अनुसार कार्य कर सकता था | कोई भी कोई कार्य चुन सकता था | पूजा करना , सैनिक बनना,खाना बनाना,व्यापार करना ,पशु पालना, खेती करना इत्यादि | ये कालांतर में जाति का रूप लेता गया | हिन्दू के बहुजन समाज (पिछड़ा, अति पिछड़ा, अन्य पिछड़ा, दलित और महादलित ) को सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहा हूँ | योगयता और मेहनत ही उन्नति का साधन है | एक कटु सत्य : यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं। जो धर्म सृष्टि के आरम्भ के पहले और प्रलय के बाद भी रहे उसे सनातन धर्म कहते है | सनातन धर्म का आदि और अंत नही है | नया सवेरा