Pages

भारतीय संस्कृति बनाम चीनी संस्कृति

विस्व के दो मात्र संस्कृति भारतीय (वैदिक) संस्कृति बनाम चीनी (मार्क्सवादी) संस्कृति में १० प्रमुख अंतर

भारतीय (वैदिक संस्कृति)

१. प्रत्येक जड़-चेतन,सजीव - निर्जीव को परमात्मा का अंस मानते है|
२.प्राणी मात्र में सद्भाव वैदिक संस्कृति का मूल मन्त्र है |
३.प्रत्येक जीव को पवित्र और प्रकृति का हिस्सा बोला है |
४.प्रकृति की पूजा और सम्मान करना इनका मूल उद्देस्य है |
५.नारी का सम्मान शक्ति, लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में पूजनीय है |
६. नारी पूजा और सम्मान मातृत्ववाद इनके मूल में है |
७.वैदिक संस्कृति की धमक पूरा ब्रह्माण्ड में होने कारन " वसुधैव कुटुम्कम " इनका सिद्धांत रहा है |
८.अहिंसा और सत्य इनका परम धर्म है |
९. राजा को प्रजा का पिता और प्रजा को राजा की संतान बताया गया है|
१०.प्राणियों में सद्भावना और सबका कल्याण इनका उद्देस्य रहा है |

चीनी संस्कृति (मार्क्सवादी संस्कृति)
१.राजा ही सर्वोपरि है |
२.सारे निवासी राजा (राज्य) के गुलाम और राज्यहित सर्वोपरि |
३.राजा या राज्य को अपने प्रजा के सारे निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त प्रजा की ज़िन्दगी पर पूर्ण अधिकार प्राप्त है | जनसँख्या नियंत्रण के नाम पर बहुत सारे नागरिको एक लाइन कड़ी कर गोली मारना इसका उदहारण है |
४.राज्य अपने प्रजा या एक प्रजा की समुदाय को राज्यहित में मार सकती है |
५. राज्य के विरुद्ध बोलने का अधिकार प्राप्त नही है |
६.नागरिक को राज्य के इक्षा के अनुसार ही अधिकार प्राप्त होता है |
७.नागरिको में असंतोष और भय का वातावरण बना रहता है |
८.नागरिक दबी जुबान से राज्य का विरोध करते है |
९.राज्य और इसके नागरिक महत्वाकांक्षी और अवसरवादी होते है |
१०. अपने हित के लिए किसी भी हद तक जा सकना इनकी प्रकृति में होती है |

SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari

For him who knows Hari and the sense of self, no other testimony is needed: the knower is absorbed. हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में...

About Me

My photo
चेतावनी : मै किसी धर्म, पार्टी, सम्प्रदाय का विरोध या सहयोग करने नही आया हूँ | मै सिर्फ १५,००० बर्ष की सच्ची इतिहास अध्ययन के बाद रखता हूँ | हिन्दू एक ही पूर्वज के संतान है | भविस्य पुराण के अनुसार राजा भोज ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कार्य का बंटवारा किया था | जिसके अनुसार कोई भी अपने योगयता के अनुसार कार्य कर सकता था | कोई भी कोई कार्य चुन सकता था | पूजा करना , सैनिक बनना,खाना बनाना,व्यापार करना ,पशु पालना, खेती करना इत्यादि | ये कालांतर में जाति का रूप लेता गया | हिन्दू के बहुजन समाज (पिछड़ा, अति पिछड़ा, अन्य पिछड़ा, दलित और महादलित ) को सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहा हूँ | योगयता और मेहनत ही उन्नति का साधन है | एक कटु सत्य : यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं। जो धर्म सृष्टि के आरम्भ के पहले और प्रलय के बाद भी रहे उसे सनातन धर्म कहते है | सनातन धर्म का आदि और अंत नही है | नया सवेरा