जय श्री गणेश ।
नया सवेरा । आज वाल्मीकि समाज के बारे में वर्तमान का सच सामने रख रहा है ।
अभी तक आपने वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक वाल्मीकि समाज के बारे में जाना है ।
वाल्मीकि समाज जो पहले वैदिक काल में ब्राह्मण और धर्म संस्थापकऔर इनके समुदाय में क्षत्रिय भी थे । जिसने मुगलकाल मेंअपना राजपाटगँवा दियाऔर मुगलो के जुल्म के शिकार हुए । ये कभी मुगल की गुलामी स्वीकार नहीं की ये हिन्दू के घर का झूठ खाना पसंद करते है ना की मुग़ल के घर का खाना ।
बहुत से लोग जुल्म, भय और लोभ से इस्लाम स्वीकार किया । ये भारी तादाद में थे । ईरान में कत्लेआम होनेके बाद कुछ ही पारसी बचे थे । जिसने भारत मेंआके शरण लिया था । पाकिस्तान अफगानिस्तान इंडोनेशिया बाली में हिन्दू लगभग नष्ट कर दिए गये । उस समय महर्षि वाल्मीकि मुनि के वंसज ने उनसे लोहा लिया। जो उससमय ज्यादा मात्रा में क्षेत्रीयऔर काम मात्रा में ब्राह्मण थे । समाज में जन्म आधारित जाती व्यवस्था होगयी थी । मुग़ल नेइनका घर द्वार सब छीन लिए कोड़े से पिटवाते थेऔर इन क्षत्रिय वंश के स्त्री को अरब में ले जाते थे । जहां पर नारकीय जिंदगी दिया जाता था । इतना जुल्म होने के बाद भी इन्होंने धर्म नहीं त्यागा था।
जिस सम्प्रय्दाय ने हिन्दू को अत्यधिक यातना । वाल्मीकि (ब्राह्मण) और चंवर (क्षत्रिय ) को चमार छीलने और सफाई कार्य के लिए मजबूर किया घर घर भीख मांगने के लिए मजबूर किया । जिस समुदाय ने इन हिन्दू आपस में बाँट कर सत्ता सुख हासिल किया। हर प्रसिद्ध मंदिर के पुजारी को मौत और लूटा ।
जिन वाल्मीकि समुदाय के पूर्वज ने धर्म की स्थापना की आपको पहले ही बता चूका हूँ मुग़ल काल में इन्हें बहुत यातना देकर ब्राह्मण से दलित बनाया था । ये किसी हिन्दू के घर से जूठा खाना पसंद करते थे । इन्होंने कभी मुग़ल की गुलामी नहीं किया और न ही धर्म त्याग किया । आज बहुत कम लोगो को पता है इन्हें अछूत क्यों कहा जाता है । जो भी हिन्दू इन्हें खाना या सहायता करता था । उसे मुग़ल बहुत प्रताड़ित करता था । इन्होंने लगभग अपनी १००० बर्ष संघर्ष में गुजर दिया । इन सच्चे ब्राह्मणों को आज पूजा करने के लिए मना किया जाता है । ये ही सच्चे ब्राह्मण है। अतः ये अब खुद मंदिर बनाये और समाज को भी इन्हें सम्मान और उचित स्थान देना पड़ेगा । ये अपने अतीत को याद करे ।
समाज भी सच्ची इतिहास को भूल गया है । ये सब सिर्फ मुग़ल,अंग्रेज , मार्क्सवादी और कांग्रेसी इतिहास ने इन्हें अपना वजूद मिटने पर मजबूर किया है । समाज को इनकी सच्ची भक्ति और ब्ब्राह्मणत्व और क्षत्रिय वंश को जानते हुए इन्हें सम्मान मिलना चाहिए । सत्य यही है इनके वंसज खुद भूल गये है की ब्राह्मण थे और इन्होंने धर्म की स्थापना की है और समाज भी भूल गयी है । बस सत्य सामने लाने की जरूरत है ।
बहुजन और मार्क्सवादी राजनीती
जो वाल्मीकि समाज धर्म का संस्थापक और रक्षक रहा जिसने कभी दास मुगलों की दासता स्वीकार नहीं की। वो समाज मार्क्सवादी राजनीती के आगे दम तोड़ चुकी है ।
मार्क्सवाद की राजनीती का आधार वर्ग संघर्ष होता है | (विकिपीडिया)
मार्क्सवाद मानव सभ्यता और समाज को हमेशा से दो वर्गों -शोषक और शोषित- में विभाजित मानता है। माना जाता है साधन संपन्न वर्ग ने हमेशा से उत्पादन के संसाधनों पर अपना अधिकार रखने की कोशिश की तथा बुर्जुआ विचारधारा की आड़ में एक वर्ग को लगातार वंचित बनाकर रखा। शोषित वर्ग को इस षडयंत्र का भान होते ही वर्ग संघर्ष की ज़मीन तैयार हो जाती है। वर्गहीन समाज (साम्यवाद) की स्थापना के लिए वर्ग संघर्ष एक अनिवार्य और निवारणात्मक प्रक्रिया है। (विकिपीडिया)
माक्र्स दो मापदण्डों के आधार पर एक वर्ग को दूसरे से अलग करता हैः उत्पादन के साधनों का स्वामित्व एवं दूसरों की श्रम शक्ति पर नियंत्रण। इससे, वह बताता है कि आधुनिक समाज में तीन विशिष्ट वर्ग हैंः 1. पूंजीवाद या बुर्जुआ उत्पादन के साधनों के स्वामी हैं और वे दूसरों की श्रम शक्ति को खरीदते हैं|
2. मजदूर या साधारण जन, जिनके पास उत्पादन का कोई साधन या दूसरों की श्रम शक्ति को खरीदने की क्षमता नहीं है। इसकी बजाय, वे स्वयं की श्रम शक्ति को बेचते हैं |
3. छोटे बुर्जुआ के रूप में जाना जाने वाला एक छोटा, परिवर्तनशील वर्ग जिनके पास उत्पादन के पर्याप्त साधन हैं लेकिन वे श्रम शक्ति को नहीं खरीदते हैं। माक्र्स का साम्यवादी घोषणापत्र छोटे बुर्जुआ को “छोटे पूंजीवादियों” से आगे परिभाषित करने में असफल हो जाता है। (विकिपीडिया)
मार्क्सवादी हमेशा बहुजन वर्ग को शोषित बता कर अपना राजनितिक सफर जारी रखते है | बहुजन का समर्थन प्राप्त कर सत्ता प्राप्त करना इनका मकसद होता है | सत्ता हासिल करने के बाद जनता में उच्च वर्ग को सत्ता का धुरी बनाते है | बुद्धदेव भट्टाचार्य, ज्योति बसु इत्यादि का पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनना इनके उदहारण है | या तथाकथित शोषित वर्ग को मुखिया रख सत्ता का शक्ति हमेशा दूसरे वर्ग के पास ही होता है | शोषित वर्ग को शोषित ही रखा जाता है | चीन, रूस, बेलारूस,ब्राज़ील, वियतनाम, भारत इत्यादि देशो में ये पार्टी है | भारत में पस्चिम बंगाल असम केरल इत्यादि राज्य इनके उदहारण है | वैदिक भारत में इसप्रकार जाति का कोई संघर्ष नही था | कालांतर में में भारत में हिन्दू सद्भावना बढ़ने के कारन वर्ग संघर्ष का लगभग अंत दिख रहा है | भारत में वर्गसंघर्ष का कुछ भी वजह दिख नही रहा है | फिर भी मार्क्सवादी विचारधारा के पास एक मुद्दा है | मार्क्सवादी लोग समाज में कुछ न कुछ वर्ग संघर्ष का कारन ढूढ़ ही लेते है | मूलनिवासी और विदेशी मुद्दा | उच्च वर्ग और निम्न वर्ग इसप्रकार ये हमेशा द्वन्द की स्थिति लाते है | कुछ सच और कुछ झूठ कारन कर समाज में दो वर्ग करना और बड़े वर्ग का अपने पक्ष में करना और दूसरे पक्ष की सहायता से सत्ता चलाना |
भारत में हिन्दू सबसे बड़ा सम्प्रदाय है | इनके एक बड़े समुदाय को मूलनिवासी और दूसरे समुदाय को विदेशी घोषित करना सिर्फ और सिर्फ द्वन्द को जीवित रखना ही इनका राजनितिक मूल है | मार्क्सवादी राजनीती को बारीकी से समझे तो आपको कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवाद, लालू, नितीश, केजरीवाल, मुलायम, मायावती इत्यादि नजर आएंगे |
जो समाज में हमेशा दो वर्ग दिखाते है | प्रथम शोषित वर्ग : एक दलित, महादलित, बहुजन, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, अन्य पिछड़ा वर्ग दूसरा वर्ग : सवर्ण और उच्च वर्ग |मजदूर - व्यापारी | बहुजन - उच्च वर्ग | गरीब - आमिर | दलित और शोषक | छूत - अछूत | आम - खास | जनता और शासक | क्षेत्रीयता - अस्मिता | इससे इनका काम हो जाता है | समाज को दो वर्गों में विभाजन कर राजनीती करना मार्क्सवाद का मूल सिद्धांत है जिसे मैंने ऊपर में बताया है | आप विकिपीडिया ज्यादा जानकारी के लिए पढ़े |
मार्क्सवाद और बहुजन युवा
मनुवाद और ब्राह्मण वाद का झूठ जहर जो वोट के लिए बहुजन वर्ग के युवा को भरा जाता है | इसके जहर पीने के बाद युवा उग्र बन जाते है | उन्हें पता ही नही रहता की वो राजनितिक शिकार हो गए है | वो २८०० साल के जुल्म की बदला लेने की आग में जलने लगते है | झूठी कहानी को ही सच समझ लेते है | ये भूल जाते है की इनके ही पूर्वज ने धर्म की स्थापना और रक्षा की है । ये तथाकथित बुद्धिजीवी लोग समाज को बस उसी दिशा में ले जा रहे है । जिस दिशा मेंमुग़ल ले गये थे । जिस मार्क्सवाद की जहर से सोवियत रूस काविभाजन हुआ । भारत में पाकिस्तान बना । कश्मीर में आंदोलन । असम में उग्रवाद , पश्चिम बंगाल में स्वत्रंता खतरे में है । केरल, हैदराबाद में धार्मिक क्राइम बढ़ना सिर्फ मार्क्सवादी राजनीती का परिणाम है । अब अगर कोई इस जहर से विभाजन होता है तो आश्चर्य की बात नहीं होगी ।
मनुवाद नाम का जहर सिर्फ मार्क्सवादी बुद्धिजीवी वर्ग सिर्फ सत्ता के लिए करते है लेकिन उसका परिणाम शायद मार्क्सवादी को भी पता नही होगा |
मार्क्सवाद, उग्रवाद और अलगावाद
भारतीय समाज में वर्ग संघर्ष के कारन युवा के भटकाव होने के बाद या तो धर्म परिवर्तन या ये तथाकथित उच्चवर्ग (भले ही आर्थिक शारीरिक मानसिक रूप से पिछड़े क्यों न हो ) का विरोध करने के लिए हथियार उठाते है | जिससे इनकी गिनती उग्रवाद में होती है | जिसका परिणाम आप १५ से २० उग्रवाद प्रभावित राज्यो में देखसकते है | कुछ युवा बाहरी शक्ति के साथ मिलकर देश में अलगाववाद की बात करने लगते है | जिसे हम कश्मीर में देख रहे है |
हम समाज में द्वंद की बात का अगर विरोध करेंगे | जैसे ही कोई दो वर्ग की बात आये तो आप खुल कर विरोध करे और समझ जाएँ यहाँ मार्क्सवादी राजनीती हो रही है |
आश्चर्य क्या है ?
इन मार्क्सवादी बुद्धिजीवी ने सोवियत रूस का विघटन देखा , भारत का विघटन देखा । विघटन के बाद मार्क्सवाद का अंत देखा। आज कोईभी मार्क्सवादी पार्टी बांग्लादेश या पाकिस्तान में नहीं है । ये सब जानते हुए भी जो जहर समाज में उगल रहे है। ये बुद्धिजीवी चाहे JNU , हैदराबाद ,कश्मीर , यादवपुर यूनिवर्सिटी की आवाज उन बच्चो की नहीं इन बुद्धिजीवी का स्क्रिप्ट है।
यक्ष ने युधिष्ठिर को पूछा था की सत्य क्या है ।
उन्होंने कहा था । रोज इंसान मारते है जो जिंदा रहते है । वो अनंत काल तक जीने की इक्षा रखते है ।
आज यही सत्य है पीने वाले इसे दवा समझ के पी रहे है । वो बीमार और मर रहे है । इस जहर से रोज इंसान मर रहे है लेकिन जहर बनाने वाले बुद्धिजीवी और बाँटने वाले नेता इसी ख्वाब में जी रहे है की उनका शासन अनंत कल तक चलेगा ।
कार्ल मार्क्स का सिद्धान्त,सोवियत रूस का विभाजन ,भारत का विभाजन और कश्मीर आसाम हैदराबाद केरल के बारे में जाने ।
जो संप्रदाय केवल हिन्दू के विरोध के लिए ही पैदा लिया है । जिसने धर्मके नाम पर ईरान अफगानिस्तान हाल ही में पाकिस्तान बांग्लादेश बनाया । २० करोड़ हिन्दू को मारा । २५ करोड़ से अधिक को धर्मांतरण करवाया । उससे ये उम्मीद रखना की भारत देश की भलाई की बात करेंगे । जो अपने दरवाजे पर किसी हिन्दू को राम राम कह कर बुलाते थे और पास आने पर गला रेत देते थे । राम नाम बगल में छुरी ।
हमने आपके सामने सत्य लाया है । अब आप इस त्याग और तपस्या की मूर्तिको किस नजरसे देखते हो । आपकी श्रद्धा और धर्म और वाल्मीकि और चंवर वंशीय अपने आप को किस प्रकार ससम्मान देते है । जब आप खुद का सम्मान करेंगे तब दुनिया भी सम्मान करेंगे । जब आपके अपने सम्मान करेंगे तो पराये भी करेंगे । अतः सभी हिन्दू सेअनुरोध हैकी इनकी सच्ची इतिहास सबको पता होना चाहिए । समाज की भी जिम्मेवारी है । जिस इतिहास को मार्क्सवादी कांग्रेसी छुपाना चाहते है आपके सामने है ।
नया सवेरा । आज वाल्मीकि समाज के बारे में वर्तमान का सच सामने रख रहा है ।
अभी तक आपने वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक वाल्मीकि समाज के बारे में जाना है ।
वाल्मीकि समाज जो पहले वैदिक काल में ब्राह्मण और धर्म संस्थापकऔर इनके समुदाय में क्षत्रिय भी थे । जिसने मुगलकाल मेंअपना राजपाटगँवा दियाऔर मुगलो के जुल्म के शिकार हुए । ये कभी मुगल की गुलामी स्वीकार नहीं की ये हिन्दू के घर का झूठ खाना पसंद करते है ना की मुग़ल के घर का खाना ।
बहुत से लोग जुल्म, भय और लोभ से इस्लाम स्वीकार किया । ये भारी तादाद में थे । ईरान में कत्लेआम होनेके बाद कुछ ही पारसी बचे थे । जिसने भारत मेंआके शरण लिया था । पाकिस्तान अफगानिस्तान इंडोनेशिया बाली में हिन्दू लगभग नष्ट कर दिए गये । उस समय महर्षि वाल्मीकि मुनि के वंसज ने उनसे लोहा लिया। जो उससमय ज्यादा मात्रा में क्षेत्रीयऔर काम मात्रा में ब्राह्मण थे । समाज में जन्म आधारित जाती व्यवस्था होगयी थी । मुग़ल नेइनका घर द्वार सब छीन लिए कोड़े से पिटवाते थेऔर इन क्षत्रिय वंश के स्त्री को अरब में ले जाते थे । जहां पर नारकीय जिंदगी दिया जाता था । इतना जुल्म होने के बाद भी इन्होंने धर्म नहीं त्यागा था।
जिस सम्प्रय्दाय ने हिन्दू को अत्यधिक यातना । वाल्मीकि (ब्राह्मण) और चंवर (क्षत्रिय ) को चमार छीलने और सफाई कार्य के लिए मजबूर किया घर घर भीख मांगने के लिए मजबूर किया । जिस समुदाय ने इन हिन्दू आपस में बाँट कर सत्ता सुख हासिल किया। हर प्रसिद्ध मंदिर के पुजारी को मौत और लूटा ।
जिन वाल्मीकि समुदाय के पूर्वज ने धर्म की स्थापना की आपको पहले ही बता चूका हूँ मुग़ल काल में इन्हें बहुत यातना देकर ब्राह्मण से दलित बनाया था । ये किसी हिन्दू के घर से जूठा खाना पसंद करते थे । इन्होंने कभी मुग़ल की गुलामी नहीं किया और न ही धर्म त्याग किया । आज बहुत कम लोगो को पता है इन्हें अछूत क्यों कहा जाता है । जो भी हिन्दू इन्हें खाना या सहायता करता था । उसे मुग़ल बहुत प्रताड़ित करता था । इन्होंने लगभग अपनी १००० बर्ष संघर्ष में गुजर दिया । इन सच्चे ब्राह्मणों को आज पूजा करने के लिए मना किया जाता है । ये ही सच्चे ब्राह्मण है। अतः ये अब खुद मंदिर बनाये और समाज को भी इन्हें सम्मान और उचित स्थान देना पड़ेगा । ये अपने अतीत को याद करे ।
समाज भी सच्ची इतिहास को भूल गया है । ये सब सिर्फ मुग़ल,अंग्रेज , मार्क्सवादी और कांग्रेसी इतिहास ने इन्हें अपना वजूद मिटने पर मजबूर किया है । समाज को इनकी सच्ची भक्ति और ब्ब्राह्मणत्व और क्षत्रिय वंश को जानते हुए इन्हें सम्मान मिलना चाहिए । सत्य यही है इनके वंसज खुद भूल गये है की ब्राह्मण थे और इन्होंने धर्म की स्थापना की है और समाज भी भूल गयी है । बस सत्य सामने लाने की जरूरत है ।
बहुजन और मार्क्सवादी राजनीती
जो वाल्मीकि समाज धर्म का संस्थापक और रक्षक रहा जिसने कभी दास मुगलों की दासता स्वीकार नहीं की। वो समाज मार्क्सवादी राजनीती के आगे दम तोड़ चुकी है ।
मार्क्सवाद की राजनीती का आधार वर्ग संघर्ष होता है | (विकिपीडिया)
मार्क्सवाद मानव सभ्यता और समाज को हमेशा से दो वर्गों -शोषक और शोषित- में विभाजित मानता है। माना जाता है साधन संपन्न वर्ग ने हमेशा से उत्पादन के संसाधनों पर अपना अधिकार रखने की कोशिश की तथा बुर्जुआ विचारधारा की आड़ में एक वर्ग को लगातार वंचित बनाकर रखा। शोषित वर्ग को इस षडयंत्र का भान होते ही वर्ग संघर्ष की ज़मीन तैयार हो जाती है। वर्गहीन समाज (साम्यवाद) की स्थापना के लिए वर्ग संघर्ष एक अनिवार्य और निवारणात्मक प्रक्रिया है। (विकिपीडिया)
माक्र्स दो मापदण्डों के आधार पर एक वर्ग को दूसरे से अलग करता हैः उत्पादन के साधनों का स्वामित्व एवं दूसरों की श्रम शक्ति पर नियंत्रण। इससे, वह बताता है कि आधुनिक समाज में तीन विशिष्ट वर्ग हैंः 1. पूंजीवाद या बुर्जुआ उत्पादन के साधनों के स्वामी हैं और वे दूसरों की श्रम शक्ति को खरीदते हैं|
2. मजदूर या साधारण जन, जिनके पास उत्पादन का कोई साधन या दूसरों की श्रम शक्ति को खरीदने की क्षमता नहीं है। इसकी बजाय, वे स्वयं की श्रम शक्ति को बेचते हैं |
3. छोटे बुर्जुआ के रूप में जाना जाने वाला एक छोटा, परिवर्तनशील वर्ग जिनके पास उत्पादन के पर्याप्त साधन हैं लेकिन वे श्रम शक्ति को नहीं खरीदते हैं। माक्र्स का साम्यवादी घोषणापत्र छोटे बुर्जुआ को “छोटे पूंजीवादियों” से आगे परिभाषित करने में असफल हो जाता है। (विकिपीडिया)
मार्क्सवादी हमेशा बहुजन वर्ग को शोषित बता कर अपना राजनितिक सफर जारी रखते है | बहुजन का समर्थन प्राप्त कर सत्ता प्राप्त करना इनका मकसद होता है | सत्ता हासिल करने के बाद जनता में उच्च वर्ग को सत्ता का धुरी बनाते है | बुद्धदेव भट्टाचार्य, ज्योति बसु इत्यादि का पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनना इनके उदहारण है | या तथाकथित शोषित वर्ग को मुखिया रख सत्ता का शक्ति हमेशा दूसरे वर्ग के पास ही होता है | शोषित वर्ग को शोषित ही रखा जाता है | चीन, रूस, बेलारूस,ब्राज़ील, वियतनाम, भारत इत्यादि देशो में ये पार्टी है | भारत में पस्चिम बंगाल असम केरल इत्यादि राज्य इनके उदहारण है | वैदिक भारत में इसप्रकार जाति का कोई संघर्ष नही था | कालांतर में में भारत में हिन्दू सद्भावना बढ़ने के कारन वर्ग संघर्ष का लगभग अंत दिख रहा है | भारत में वर्गसंघर्ष का कुछ भी वजह दिख नही रहा है | फिर भी मार्क्सवादी विचारधारा के पास एक मुद्दा है | मार्क्सवादी लोग समाज में कुछ न कुछ वर्ग संघर्ष का कारन ढूढ़ ही लेते है | मूलनिवासी और विदेशी मुद्दा | उच्च वर्ग और निम्न वर्ग इसप्रकार ये हमेशा द्वन्द की स्थिति लाते है | कुछ सच और कुछ झूठ कारन कर समाज में दो वर्ग करना और बड़े वर्ग का अपने पक्ष में करना और दूसरे पक्ष की सहायता से सत्ता चलाना |
भारत में हिन्दू सबसे बड़ा सम्प्रदाय है | इनके एक बड़े समुदाय को मूलनिवासी और दूसरे समुदाय को विदेशी घोषित करना सिर्फ और सिर्फ द्वन्द को जीवित रखना ही इनका राजनितिक मूल है | मार्क्सवादी राजनीती को बारीकी से समझे तो आपको कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवाद, लालू, नितीश, केजरीवाल, मुलायम, मायावती इत्यादि नजर आएंगे |
जो समाज में हमेशा दो वर्ग दिखाते है | प्रथम शोषित वर्ग : एक दलित, महादलित, बहुजन, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, अन्य पिछड़ा वर्ग दूसरा वर्ग : सवर्ण और उच्च वर्ग |मजदूर - व्यापारी | बहुजन - उच्च वर्ग | गरीब - आमिर | दलित और शोषक | छूत - अछूत | आम - खास | जनता और शासक | क्षेत्रीयता - अस्मिता | इससे इनका काम हो जाता है | समाज को दो वर्गों में विभाजन कर राजनीती करना मार्क्सवाद का मूल सिद्धांत है जिसे मैंने ऊपर में बताया है | आप विकिपीडिया ज्यादा जानकारी के लिए पढ़े |
मार्क्सवाद और बहुजन युवा
मनुवाद और ब्राह्मण वाद का झूठ जहर जो वोट के लिए बहुजन वर्ग के युवा को भरा जाता है | इसके जहर पीने के बाद युवा उग्र बन जाते है | उन्हें पता ही नही रहता की वो राजनितिक शिकार हो गए है | वो २८०० साल के जुल्म की बदला लेने की आग में जलने लगते है | झूठी कहानी को ही सच समझ लेते है | ये भूल जाते है की इनके ही पूर्वज ने धर्म की स्थापना और रक्षा की है । ये तथाकथित बुद्धिजीवी लोग समाज को बस उसी दिशा में ले जा रहे है । जिस दिशा मेंमुग़ल ले गये थे । जिस मार्क्सवाद की जहर से सोवियत रूस काविभाजन हुआ । भारत में पाकिस्तान बना । कश्मीर में आंदोलन । असम में उग्रवाद , पश्चिम बंगाल में स्वत्रंता खतरे में है । केरल, हैदराबाद में धार्मिक क्राइम बढ़ना सिर्फ मार्क्सवादी राजनीती का परिणाम है । अब अगर कोई इस जहर से विभाजन होता है तो आश्चर्य की बात नहीं होगी ।
मनुवाद नाम का जहर सिर्फ मार्क्सवादी बुद्धिजीवी वर्ग सिर्फ सत्ता के लिए करते है लेकिन उसका परिणाम शायद मार्क्सवादी को भी पता नही होगा |
मार्क्सवाद, उग्रवाद और अलगावाद
भारतीय समाज में वर्ग संघर्ष के कारन युवा के भटकाव होने के बाद या तो धर्म परिवर्तन या ये तथाकथित उच्चवर्ग (भले ही आर्थिक शारीरिक मानसिक रूप से पिछड़े क्यों न हो ) का विरोध करने के लिए हथियार उठाते है | जिससे इनकी गिनती उग्रवाद में होती है | जिसका परिणाम आप १५ से २० उग्रवाद प्रभावित राज्यो में देखसकते है | कुछ युवा बाहरी शक्ति के साथ मिलकर देश में अलगाववाद की बात करने लगते है | जिसे हम कश्मीर में देख रहे है |
हम समाज में द्वंद की बात का अगर विरोध करेंगे | जैसे ही कोई दो वर्ग की बात आये तो आप खुल कर विरोध करे और समझ जाएँ यहाँ मार्क्सवादी राजनीती हो रही है |
आश्चर्य क्या है ?
इन मार्क्सवादी बुद्धिजीवी ने सोवियत रूस का विघटन देखा , भारत का विघटन देखा । विघटन के बाद मार्क्सवाद का अंत देखा। आज कोईभी मार्क्सवादी पार्टी बांग्लादेश या पाकिस्तान में नहीं है । ये सब जानते हुए भी जो जहर समाज में उगल रहे है। ये बुद्धिजीवी चाहे JNU , हैदराबाद ,कश्मीर , यादवपुर यूनिवर्सिटी की आवाज उन बच्चो की नहीं इन बुद्धिजीवी का स्क्रिप्ट है।
यक्ष ने युधिष्ठिर को पूछा था की सत्य क्या है ।
उन्होंने कहा था । रोज इंसान मारते है जो जिंदा रहते है । वो अनंत काल तक जीने की इक्षा रखते है ।
आज यही सत्य है पीने वाले इसे दवा समझ के पी रहे है । वो बीमार और मर रहे है । इस जहर से रोज इंसान मर रहे है लेकिन जहर बनाने वाले बुद्धिजीवी और बाँटने वाले नेता इसी ख्वाब में जी रहे है की उनका शासन अनंत कल तक चलेगा ।
कार्ल मार्क्स का सिद्धान्त,सोवियत रूस का विभाजन ,भारत का विभाजन और कश्मीर आसाम हैदराबाद केरल के बारे में जाने ।
जो संप्रदाय केवल हिन्दू के विरोध के लिए ही पैदा लिया है । जिसने धर्मके नाम पर ईरान अफगानिस्तान हाल ही में पाकिस्तान बांग्लादेश बनाया । २० करोड़ हिन्दू को मारा । २५ करोड़ से अधिक को धर्मांतरण करवाया । उससे ये उम्मीद रखना की भारत देश की भलाई की बात करेंगे । जो अपने दरवाजे पर किसी हिन्दू को राम राम कह कर बुलाते थे और पास आने पर गला रेत देते थे । राम नाम बगल में छुरी ।
हमने आपके सामने सत्य लाया है । अब आप इस त्याग और तपस्या की मूर्तिको किस नजरसे देखते हो । आपकी श्रद्धा और धर्म और वाल्मीकि और चंवर वंशीय अपने आप को किस प्रकार ससम्मान देते है । जब आप खुद का सम्मान करेंगे तब दुनिया भी सम्मान करेंगे । जब आपके अपने सम्मान करेंगे तो पराये भी करेंगे । अतः सभी हिन्दू सेअनुरोध हैकी इनकी सच्ची इतिहास सबको पता होना चाहिए । समाज की भी जिम्मेवारी है । जिस इतिहास को मार्क्सवादी कांग्रेसी छुपाना चाहते है आपके सामने है ।